इंदौर। प्रवासी भारतीय सम्मेलन को दृष्टिगत रखते हुए शहर में आने वाले अतिथियों को इंदौर के वैभव एवं इतिहास के संबंध में आयोजित इंदौर हेरिटेज वॉक मार्ग का महापौर पुष्यमित्र भार्गव द्वारा बोलिया सरकार छतरी, कृष्णपुरा छत्री, राजवाड़ा तथा अन्य मार्ग का निरीक्षण किया गया।
इसके साथ ही मां अहिल्या की नगरी एवं होलकर कालीन इंदौर के प्रारंभ से वर्तमान में औद्योगिक राजधानी इंदौर के इतिहास एवं वैभव की गाथा के लिए आज बोलिया सरकार छतरी से हेरिटेज वॉक मैं महापौर पुष्यमित्र भार्गव, महापौर परिषद सदस्य निरंजन सिंह चौहान राकेश जैन नंदकिशोर पहाड़िया अभिषेक बबलू शर्मा मनीष मामा शर्मा रेखा डांगी राजेश उदावत एवं बड़ी संख्या में पार्षद गणों के साथ सम्मिलित हुए। इस अवसर पर अपर आयुक्त दिव्यांक सिंह, देवधर दरवई, अधीक्षण यंत्री डीआर लोधी, क्षेत्रीय जोनल अधिकारी पी एस कुशवाह, डीएसआईएफडी इंटीरियर कॉलेज के विद्यार्थी अन्य उपस्थित थे।
इंदौर हेरिटेज वॉक के अंतर्गत बोलिया सरकार छतरी, कृष्णपुरा छत्री, राजवाड़ा, गुरुद्वारा चौराहा प्रिंस यशवंत रोड होते हुए सीपी शेखर नगर उद्यान में हेरिटेज वॉक का समापन होगा। इंदौर हेरीटेज वॉक के दौरान प्रसिद्ध इतिहासकार जफर अंसारी, प्रवीण श्रीवास्तव, श्रावणी, प्रशांत इंदुलकर ने इंदौर के इतिहास एवं वैभव की विस्तार से जानकारी दी गई।
इतिहासकार जफर अंसारी ने बताया कि होलकर काल में निर्मित बोलिया सरकार छतरी के इतिहास का वर्णन करते हुए बताया कि होलकर काल के दौरान जब नगर निगम नहीं था उस वक्त साईकिल के लिए भी लाइसेंस लेना होता था, इसके साथ ही दूध बेचने वालों के लिए भी बेच होना अनिवार्य था ताकि दूध की गुणवत्ता बनी रहे।
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साइकिल के भी होते थे लाइसेंस दूध बेचने वाले लगाते थे बेच
इतिहासकार जफर अंसारी ने बताया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी दो बार इंदौर आए जब वह वर्ष 1918 में आए थे तब इंदौर के प्रबुद्ध जनों ने उन्हें एक चरखा उपहार में देना चाहा किंतु वह चरखा चंदन की लकड़ी एवं चांदी से बना था इसलिए उन्होंने इस उपहार को लेने से मना कर दिया, क्योंकि गांधीजी सादगी और सरलता में ही विश्वास रखते थे।