सतीश जोशी। नईदुनिया के नायकों की दूसरी पीढी के मालिकों में एक श्री महेंद्र सेठिया उस पत्रकारिता को जीने वाले व्यक्तित्व थे, जहां पाठकों के समर्पण के लिए अखबार निकाले जाते थे। नईदुनिया पत्रकारिता का विश्वविद्यालय थी, जहां हर किसी को विभिन्न विधाओं में कसौटी पर कसकर साबित करना होता था। उन्होंने मालिक की तरह नहीं, एक प्रशिक्षु पत्रकार की तरह शुरुआत की। खेल पत्रकारिता उनकी रुचि रहा। नईदुनिया के प्रबंध सम्पादक, खेल पत्रिका के सम्पादक भी रहे। अखबार से लेकर पत्रिका को सजाने संवारने में सिद्धहस्त थे। राजनेता, समाजसेवी, खिलाडी सब उनके संपर्क में रहते थे। रिपोर्टिंग में भी उन्होंने जौहर दिखाए। वे राजनीतिक रिपोर्टिंग बेखौफ करते थे।
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अखबार के निहित हितों से परे वे पाठकों की जरूरत, समाज की अपेक्षा की पत्रकारिता के पक्षधर थे। सम्पादकीय विभाग में मित्रवत रहते थे, सायंकाल पांच बजे की सेव-परमल टीम वर्क को विकसित करती थी। सबके प्रति प्रेम और सबको साथ लेकर चलना और अखबार के कलेवर को और अधिक भिन्न प्रयोग से संवारने में उनको महारथ हासिल थी। रात दो-दो, तीन-तीन बजे तक कार्य करना उनके अखबार के प्रति समर्पण को दर्शाता था। आपका अपनापन और स्नेह मैं कभी नहीं भूल सकता। विनम्र पुष्पांजलि महेन्द्र भैया—।