प्यार इंसान से क्या कुछ नहीं करवाता, प्यार इंसान से वो चीजे भी करवा लेता हैं जो प्यार में पड़ा इंसान कभी नहीं सोच सकता, जैसे शाहजहां ने मुमताज के लिए ताजमहल बनवा दिया तो वहीं एक पति ने अपनी पत्नी की याद में एक ऐसी मूर्ति बनवा दी जिसे देखकर आप यही कहेंगे की वो एक जीती जागती इंसान है.
ठीक ऐसी ही एक घटना कोलकाता से सामने आई है, जहां कोरोना महामारी की दूसरी लहर में एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी तापस शांडिल्य ने अपनी बीवी को खो दिया और अंतिम बार उनका चेहरा भी देखना नसीब नहीं हुआ. कोरोना महामारी का दूसरा फेज सबसे जोखिमभरा दौर था, जिसमें दुनियाभर में बेहद ज्यादा मौतें हुईं और न जाने कितने ही लोगों ने अपनों को खो दिया.
कुछ ऐसे तापस ने अपनी पत्नी को खोया
हालांकि, रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी तापस शांडिल्य ने साहस नहीं हारा और अपनी पत्नी इन्द्राणी की मृत्यु के बाद भी उनका साथ नहीं छोड़ा. उन्होंने स्वर्गीय इन्द्राणी देवी की याद में उन्ही की तरह हूबहू दिखने वाली एक सिलिकॉन की प्रतिमा बनवा डाली. तापस शांडिल्य और उनकी पत्नी इन्द्राणी दोनों ही एक ही वक़्त पर कोरोना के दूसरे फेज से पीड़ित थे. साल 2021 की 2 मई को Comorbid होने के चलते इन्द्राणी देवी की सेहत और अधिक बिगड़ गई और जब 3 मई को उन्हें अस्पताल में एडमिट करवाया गया तो उसी दिनांक की रात्रि को इन्द्राणी की मृत्यु हो गई.
मात्र उनके इकलौते बेटे को 3 मिनट के लिए फेस बैग की चैन खोलकर मां के आखिरी दर्शन करने का अवसर दिया गया, लेकिन उनके पति तापस शांडिल्य जो खुद कोरोना से ग्रसित थे उन्हें अपनी पत्नी के अंतिम दर्शन का भी अवसर नहीं मिला.
मूर्ति बनवाने की प्रेरणा उन्हें कहां से मिली
कई वर्ष पहले की बात है जब शांडिल्य दंपति मायापुर के इस्कॉन मंदिर में गए थे. तब उन्होंने श्री प्रभुपाद की एक जीवित प्रतिमा के दर्शन किए जो अपने आप में अविस्मरणीय है और उसी वक़्त तापस की पत्नी ने उनसे कहा था की जो भी हम दोनों में से पहले दुनिया से जाएगा तो हम से एक उसकी बिल्कुल ठीक ऐसी ही मूर्ति बनवाएगा और आज जब तापस की पत्नी ही पहले उन्हें छोड़ के चली गई तो उन्हें इन्द्राणी की इसी बात को अब उनके पति ने हकीकत में बदला हैं.
मूर्ति को बनाने के लिए कितना खर्च हुआ
लगभग ढाई लाख खर्च कर तापस ने अपनी स्वर्गीय पत्नी इन्द्राणी की सिलिकॉन की मूर्ति बनवाई और इसे बनने में करीब करीब 6 महीने लगे. शिल्पकार सुबिमल पाल ने बताया कि सिर्फ इन्द्राणी के चेहरे को ही वास्तविक रूप देने में उन्हें पुरे 3 माह लग गए. इन्द्राणी की पोशाख मतलब उनकी पसंदीदा असम सिल्क की साड़ी जो उन्होंने अपने बेटे की शादी में पहनी थी, उसका नाप दर्जी को बताया. गहने इत्यादि सब हूबहू इन्द्राणी की पसंद के मुताबिक ही बनवाया गया था. इसके अतिरिक्त, उस वैनिटी बैग को भी उनकी मूर्ति में सजाने को कहा और उसके बाद शिल्पकार सुबिमल पाल के वर्कशॉप में तापस ने अपनी पत्नी की सिलिकॉन मूर्ति को पूरा करने का जिम्मा दिया.