शुक्रवार को विवाद तब शुरू हो गया जब केरल की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने दावा किया कि विदेश मंत्रालय ने इस सप्ताह कुवैत में लगी आग की पृष्ठभूमि में उनकी यात्रा के लिए राजनीतिक मंजूरी नहीं दी, जिसमें दक्षिणी राज्य के 23 लोगों सहित 45 भारतीय मारे गए और की घायल होने की सम्भावना बताई गई है।
मंत्री ने कहा कि वह और राज्य मिशन निदेशक (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन) जीवन बाबू गुरुवार सुबह राज्य के घायलों को दिए जा रहे चिकित्सा उपचार की निगरानी के लिए कुवैत जाने वाले थे। चूंकि यात्रा के लिए विदेश मंत्रालय की राजनीतिक मंजूरी की आवश्यकता थी। इसलिए दिल्ली में राज्य के मुख्य सचिव और रेजिडेंट कमिश्नर ने अनुरोध किया और उसका पालन किया गया। हमें अंतिम समय में मंजूरी मिलने की उम्मीद थी और हम कोच्चि के हवाई अड्डे तक भी गए। लेकिन विदेश मंत्रालय ने यात्रा के लिए राजनीतिक मंजूरी नहीं दी। कुवैत में भारत के प्रत्येक व्यक्ति की मौत दुखद है। लेकिन इस त्रासदी में केरल ने सबसे ज़्यादा लोगों को खोया है। मंत्री ने संवाददाताओं से अभी राज्य और केंद्र सरकारों को मिलकर काम करना चाहिए और त्रासदी से प्रभावित इन परिवारों की मदद करने के प्रयासों में समन्वय करना चाहिए। कांग्रेस ने भी राज्य सरकार का समर्थन किया और केंद्र के फैसले को ‘सबसे दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया।
भाजपा नेता और केंद्रीय राज्य मंत्री सुरेश गोपी ने कहा कि इस तरह के विवादों के लिए कोई जगह नहीं है। गोपी ने कहा, इसमें राजनीति देखने की कोई जरूरत नहीं है। हर व्यक्ति का एक पद और जिम्मेदारी होती है। विदेश मंत्रालय ऐसे मामलों का प्रभारी होता है और सहकारी संघवाद के दायरे में फैसले लिए गए हैं। एस जयशंकर और उनकी टीम ने अच्छा काम किया है। एक राज्य मंत्री को कुवैत जाने के लिए नियुक्त किया गया था और सब कुछ अच्छी तरह से संभाला गया है।