जानें क्या होता है CIBIL स्कोर, आपके लिए कितना जरुरी ?

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अगर आप भी बैंक से लोन लेने जाते है तो आपसे सिबिल या क्रेडिट स्कोर के बारे में अकसर पूछा जाता है। लेकिन अधिकतर लोगों को इसके बारें में मालूम नहीं होता तो अगर आप भी भी उन लोगों में से है तो कोई बात नहीं आज हम आपको उसके बारें में बताने जा रहे है।

क्या होता है CIBIL ?

CIBIL जिसका पूरा नाम क्रेडिट इंफॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड है। यह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लाइसेंस प्राप्त चार महत्वपूर्ण क्रेडिट स्कोर की सूचना देने वाली कंपनियों में से एक है। भारत में CIBIL के अलावा तीन अन्य कंपनियां हैं-इक्विफैक्स (Equifax), एक्सपेरियन (Experian) और और सीएफआई हाईमार्क (CFI Highmark), जो क्रेडिट यानी कर्ज के बारे में जानकारी देती हैं। आसान शब्दों में कहें तो CIBIL को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा लाइसेंस मिलता है और यह वर्ष 2005 के क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनीज़ (रेगुलेशन) एक्ट द्वारा शासित है। यह व्यक्तियों और कंपनियों के लिए क्रेडिट स्कोर, क्रेडिट रैंक और क्रेडिट रिपोर्ट जनरेट करती है। ये रिपोर्ट नए क्रेडिट जैसे लोन और क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदनों की मंज़ूरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

अगर बात करें CIBIL स्कोर की तो यह तीन अंक की संख्या है। यह 300 से 900 तक होती है और किसी व्यक्ति की लोन लेने की योग्यता दर्शाती है। जब भी कोई नए लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करता है, तो लोन देने वाले संस्थान आवेदक को लोन देने के जोखिम का मूल्यांकन करने के लिए उसके क्रेडिट स्कोर की जांच करता है। एक अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाए रखना यानी जो 900 के करीब है, एक नए लोन या क्रेडिट कार्ड आवेदन की मंज़ूरी की संभावना को बढ़ाता है।

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जिस तरह CIBIL व्यक्तियों के लिए क्रेडिट स्कोर प्रदान करता है, यह व्यवसायों के लिए क्रेडिट रैंक जनरेट करता है। CIBIL रैंक कंपनी क्रेडिट रिपोर्ट (CCR) के न्यूमेरिकल समरी के रूप में कार्य करता है। यह 1 से 10 के बीच होता है, जहाँ 1 को सर्वश्रेष्ठ रैंक माना जाता है। वर्तमान में CIBIL रैंक केवल उन व्यवसायों को दी जाती है, जिन्होंने 10 लाख रु. से 50 करोड़ रु. तक का लोन लिया हुआ है।