नारद जयंती के अवसर पर हुए समारोह में पत्रकार उमेश रेखे, रवींद्र शुक्ला, अविनाश दीक्षित का हुआ सम्मान

Deepak Meena
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इंदौर। पत्रकारिता तो पौराणिक काल से चली आ रही है हनुमानजी, नारदजी, मंथरा, शकुनी, शूर्पणखां और रावण ये धर्मग्रंथों के पात्र हैं लेकिन सब पत्रकारिता के प्रतीक भी हैं।फेक न्यूज, नकारात्मक जर्नलिज्म, सच से परे पत्रकारिता तब से ही चली आ रही है लेकिन पत्रकार हो तो हनुमानजी जैसा जो पॉजिटिव जर्नलिज्म तो करे ही, वक्त आने पर सत्ता की आंख में आंख डाल कर सच कहने का साहस भी रखे।यदि पत्रकार सत्ता के तलुवे चाटने लग जाएगा तो सत्ताधीश अहंकारी और भ्रष्ट हो जाएंगे।

एसजीएसआयटीएस के गोल्डन जुबली सभागार में आयोजित देवर्षि नारद का कृतित्व-पत्रकारिता का पाथेय विषय पर बोलते हुए मुख्य वक्ता-आध्यात्मिक गुरु पं विजय शंकर मेहता ने कहा पत्रकारों का किरदार तो आदिकाल से रहा है। धर्मग्रंथ गवाह है रावण और शूर्पणखां यदि फेक जर्नलिज्म करते रहे तो हनुमान ने पॉजिटिव जर्नलिज्म किया है।मंथरा, शकुनी नकारात्मक पत्रकारिता करते रहे।यदि पत्रकार सत्ता के तलुवे चाटने लग जाएंगे तो वो भ्रष्ट और निरंकुश हो जाएगी। पत्रकारों की आंख में, कलम में सच लिखने का साहस और तेज होना चाहिए।आज तो पार्टियों के पत्रकार हो गए हैं।

एक पत्रकार के पास जानकारी के साथ ज्ञान भी हो, समझ भी हो, परिश्रम और आत्मविश्वास भी होना चाहिए।मुंह पर तारीफ पर फूल मत जाना, आप के पीठ पीछे आप के काम की तारीफ हो ऐसी पत्रकारिता ही सार्थक और पहचान देने वाली होती है।नेगेटिव पत्रकारिता करने वालों की दशा भी शूर्पणखां की तरह एक दिन नाक कान कट जाने जैसी हो जाती है।रावण का जो अंत हुआ उसका कारण उसका फेक जर्नलिज्म को बढ़ावा देना था। सीता के अपहरण के लिए उसने मारिच को मृग बन कर लक्ष्मण की आवाज में पुकारने जैसा फेक जर्नलिज्म किया जो राम से युद्ध में उसके अंत का कारण बन गया।हनुमान जी संविधान वाली व्यवस्था लागू करने वाले, टाइम मैनेजमेंट मुताबिक काम करने वाले पत्रकार थे।नारजी पहले पत्रकार थे लेकिन जब उन्हें भी अपने काम पर अहंकार हो गया तो उनका भ्रम भी भगवान विष्णु ने दूर कर दिया।

अपने काम को लेकर नारदजी जैसा तपस्वी पत्रकार हो तो सत्ता को भी हिला सकता है। लेकिन वह भी यदि झूठी प्रशंसा का शिकार हुआ तो अपने ध्येय से भटक जाएगा।प्रणाम, पुष्प, प्रशंसा ये तीनों अच्छे अच्छों को निपटा देते हैं।पत्रकार मूल रूप से दूत ही होता है। राम के दूत बन कर गए हनुमान। नारद हनुमान से सीखिये आप का पुरुषार्थ आप के मूल काम में है।हनुमान जी के जर्नलिज्म का बेस्ट पार्ट है रावण की आंख में आंख डाल कर बात करना। यह साहस होना चाहिए पत्रकार में।

अध्यक्षीय उद्बोधन में डिजियाना न्यूज के एडिटर इन चीफ प्रतीक श्रीवास्तव ने कहा ब्रह्माजी के मानस पुत्र नारद तीनों लोकों में विचरण करने वाले अपने नामानुकूल अज्ञान का नाश और ज्ञान का प्रकाश फैलाने वाले थे। आज ब्रेकिंग न्यूज का जो सर्वत्र हल्ला है, दुनिया की सबसे बड़ी तीन ब्रेकिंग नारदजी ने की। नारद जी ने पहली ब्रेकिंग देवता-दानव युद्ध में समुद्र मंथन के दौरान निकले हलाहल की, दूसरी नारद जी के भाई दक्ष के यज्ञ में (पार्वती) सती ने हवन कुंड में कूद कर प्राण दे दिए तो शिव को यह खबर दी। तीसरी ब्रेकिंग बलराम को तीर्थाटन पर भेजने के बाद यह ब्रेकिंग दी कि अब महाभारत का अंत हो गया है आप लौट आएं।जो वामपंथी विचारक कहते हैं कि आरएसएस ने नारदजी को पहला पत्रकार बता कर उनका महिमामंडन किया है तो उन्हें पता होना चाहिए पहले अखबार उदंड मार्तंड में संपादक ने नारदजी को पहला संवाददाता बताया और नारद जयंती के दिन ही अखबार की लॉंचिंग की थी।
विश्व संवाद केंद्र की तरफ से दिनेश गुप्ता ने, देअविवि पत्रकारिता विभाग की तरफ से सोनाली नरगुंदे ने आभार माना, संचालन मनीष काले ने किया। प.माधव शर्मा ने श्रीनारद स्त्रोत का पाठ किया, समापन जाह्नवी चौहान द्वारा वंदे मातरम के गायन से हुआ।

वरिष्ठ पत्रकार उमेश रेखे, रवींद्र शुक्ला, अविनाश दीक्षित का सम्मान
विश्व संवाद केंद्र मालवा, प्रेस क्लब तथा पत्रकारिता विभाग देवी अहिल्या विवि द्वारा देवर्षि नारद जी के कालजयी कृतित्व को समाज के सम्मुख प्रस्तुत करने हेतु प्रति वर्ष सृष्टि के प्रथम संवाददाता देवर्षि नारद जयंती कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार उमेश रेखे, रवीन्द्र शुक्ला और अविनाश दीक्षित को पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हेतु पं मेहता सहित अन्य अतिथियों ने सम्मानित किया।प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने इन पत्रकारों का परिचय देते हुए उनकी पत्रकारिता और उनसे जुड़े विशिष्ट संस्मरणों का उल्लेख भी किया।