हिंदू धर्म में कई ऐसे त्योहार है जो बेहद ही धूमधाम से मनाए जाते हैं, इन्हीं त्योहारों में से एक है जिउतिया पर्व। पंचांग के मुताबिक प्रत्येक वर्ष आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को जितिया व्रत किया जाता है। हर साल सुहागन स्त्रियां ये व्रत रखती हैं और संतान के हित की प्रार्थना करती हैं।
ऐसा माना जाता है कि जितिया व्रत करने से संतान की लंबी उम्र होती है। इस व्रत को जीवित्पुत्रिका और जितिया व्रत भी कहते हैं। इस साल 28 से 30 सितंबर तक मनाया जाएगा। यह व्रत बहुत ही कठिन उपवासों में एक माना जाता है। इसमें माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं।
जितिया व्रत का महत्व
जितिया व्रत की कथा महाभारत काल से जुड़ी है। धार्मिक कथाओं के अनुसार महाभारत के युद्ध में अपने पिता की मौत का बदला लेने की भावना से अश्वत्थामा पांडवों के शिविर में घुस गया। शिविर के अंदर पांच लोग सो रहे थे। अश्वत्थामा ने उन्हें पांडव समझकर मार दिया, परंतु वे द्रोपदी की पांच संतानें थीं। फिर अुर्जन ने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उसकी दिव्य मणि ले ली।
जीवित्पुत्रिका व्रत कथा
जीवित्पुत्रिका व्रत से कई कथायें जुड़ी हुई है। इनमें से इस प्रकार है-
ऐसा माना जाता है। महाभारत में अश्वथामा ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए ब्रह्म अस्त्र का प्रयोग कर, उत्तरा के गर्भ में बच्चे का मार दिया था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने सूक्ष्म रूप से उत्तरा के गर्भ में प्रवेश करके बच्चे की रक्षा की थी। उत्तरा ने एक पुत्र को जन्म दिया था। वही पुत्र पांडव वंश का भावी कर्णाधार परीश्रित हुआ। परीक्षित को इस प्रकार जीवनदान मिलने के कारण इस व्रत का नाम ‘जीवित्पुत्रिका पड़ा’।
जीवित्पुत्रिका पूजा विधि
जितिया व्रत के एक दिन पहले महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान कर पूजा करती है फिर इसके बाद भोजन करती हैं। इसके बाद जितिया व्रत के पारण करने के बाद ही अन्न को ग्रहण करेंगी। जितिया व्रत में व्रती महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। पारण वाले दिन पर सूर्य को अर्घ्य देने के बाद ही कुछ खाती हैं। जितिया व्रत वाले दिन पर झोर भात, भरुवा की रोटी और नोनी का साग खाया जाता है।
तीन दिनों तक चलता है जीवित्पुत्रिका
संतान की सुख और समृद्धि के लिए जीवित्पुत्रिका माताएं तीन दिनों तक चलता है। पहला दिन नहाए-खाए, दूसरा दिन जितिया निर्जला व्रत और तीसरे दिन पारण किया जाता है।
जितिया व्रत शुभ मुहूर्त 2021
अष्टमी तिथि – 28 सितंबर को शाम 06 बजकर 16 मिनट से 29 सितंबर की रात 8 बजकर 29 मिनट तक
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