भोपाल में चातुर्मास करने के लिए जैन मुनि विमलसागर जी महाराज आए हुए है, जो कि पिछले 8 दिन से अन्नजल त्यागकर कठोर साधना कर रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने भक्तों को प्रतिदिन दर्शन व प्रवचन भी दिए। साथ ही उन्होंने ध्यान साधना तपस्या भी की। वह अपने संघ सहित पहली बार भोपाल पधारे हैं। जानकारी के लिए बता दें अष्टांनिका महापर्व 6 जुलाई से 8 दिन के लिए शुरू हुए। इस पर्व में भक्तिभाव से सिद्धों की आराधना का विशेष महत्व माना जाता है।
देशभर में यह पर्व काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है। साथ ही जैन समाज इन 8 दिनों में सिद्धचक्र महामंडल विधान करके सिद्धों की विशेष पूजन करते हैं। वहीं मुनिश्री विमलसागर जी महाराज ने आहार 5 जुलाई को सुबह 10 बजे लिया था, उसके बाद उन्होंने 14 जुलाई की सुबह तक के लिए अन्नजल का त्याग कर साधना की। वहीं तप साधना के साथ भक्तों को दर्शन व प्रवचन दिए।
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गुरुवार यानि आज उनका पाड़ना होना है। समाज के अनेक लोगों ने भोपाल के चौक क्षेत्र में जहां मुनिसंघ विराजमान है वहां चौके लगाए। ताकि सभी को मुनिश्री को आहार कराने का सौभाग्य मिल सके। जैसे ही मुनिश्री चौक जैन मंदिर में दर्शन कर आहार के लिए निकले तो सभी की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और चौक की गलियां हे स्वामी नमोस्तु से गूंज उठीं। इसी बीच मुनिभक्त रवि जैन माते ने मुनिश्री का पड़गाहन कर उन्हें नवदा भक्ति पूर्वक आहार कराए।