ISRO : खुलेंगे सूर्य की गर्मी के राज, जानें क्या है PROBA-3 मिशन

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ISRO : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) एक और बड़ी उपलब्धि की ओर बढ़ रहा है। गुरुवार दोपहर को ISRO PSLV-C59 रॉकेट के माध्यम से PROBA-3 मिशन को लॉन्च करेगा। पहले यह लॉन्च बुधवार को होने वाला था, लेकिन तकनीकी खराबी के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था। अब, ISRO के इंजीनियर और वैज्ञानिक पूरी तैयारी के साथ इस मिशन को सफलतापूर्वक लॉन्च करने के लिए तैयार हैं। यह मिशन यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के तहत एक महत्वपूर्ण सोलर मिशन है।

आइए जानते हैं इस मिशन के बारे में विस्तार से और इसके पीछे का उद्देश्य…

क्या है PROBA-3 मिशन ?

PROBA-3 मिशन एक महत्वपूर्ण अंतरिक्ष परियोजना है, जिसे यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के सहयोग से तैयार किया गया है। इस मिशन के तहत दो सैटेलाइट्स को एक साथ लॉन्च किया जाएगा। इन सैटेलाइट्स का मुख्य उद्देश्य सूर्य के कोरोना का अध्ययन करना है। कोरोनाग्राफ और ऑकल्टर नामक इन उपग्रहों की मदद से वैज्ञानिक सूर्य के आंतरिक और बाहरी कोरोना के बीच के गैप की स्थिति और उसकी कार्यप्रणाली को समझने की कोशिश करेंगे।


PROBA-3 मिशन के लिए इटली, स्पेन, बेल्जियम, पोलैंड, स्विट्जरलैंड और इटली के वैज्ञानिकों ने मिलकर काम किया है। इस मिशन का अनुमानित बजट करीब 200 मिलियन यूरो है। यह मिशन लगभग दो वर्षों तक चलेगा, जिसके दौरान यह सूर्य के बारे में कई अहम जानकारियां प्रदान करेगा।

मिशन का मुख्य उद्देश्य

सूर्य के वायुमंडल के ऊपरी हिस्से को कोरोना कहा जाता है, जो सूर्य की सतह से हजारों किलोमीटर ऊपर तक फैला हुआ है। वैज्ञानिकों के लिए सूर्य के कोरोना का अध्ययन करना बहुत चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि इसका तापमान 2 मिलियन डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच सकता है। यही कारण है कि इस क्षेत्र का अध्ययन करना बहुत कठिन होता है।

PROBA-3 मिशन के तहत लॉन्च किए गए कोरोनाग्राफ और ऑकल्टर सैटेलाइट्स, सूर्य के कोरोना का अध्ययन करेंगे। ये सैटेलाइट्स सूर्य के बाहरी वायुमंडल की विशेषताएँ, सौर तूफान, और सौर हवाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी इकट्ठा करेंगे। इन सैटेलाइट्स का डिज़ाइन इस तरह से किया गया है कि वे सूर्यग्रहण की नकल कर सकते हैं, जिससे सूर्य के कोरोना का अध्ययन करना थोड़ा सरल हो जाएगा।

मिशन में क्या-क्या होगा?

PROBA-3 मिशन के तहत दो उपग्रहों – कोरोनाग्राफ (310 किलो) और ऑकल्टर (240 किलो) को एक साथ लॉन्च किया जाएगा। इन दोनों उपग्रहों का मुख्य उद्देश्य सूर्य के कोरोना के भीतर होने वाली गतिविधियों का अध्ययन करना है। इनमें तीन प्रमुख उपकरण लगाए गए हैं, जिनका उद्देश्य सूर्य के बारे में अहम जानकारी इकट्ठा करना है:

  1. ASPIICS (Advanced Solar Particle Imaging and Imaging Coronagraph)
  2. DARA (Data Analysis and Retrieval Algorithms)
  3. 3DEES (3D Exploration of Solar Energetic Events)


यह मिशन सूर्य के कोरोना की संरचना, उसके तापमान, और वहां होने वाली गतिविधियों के बारे में विस्तृत जानकारी जुटाएगा। इससे वैज्ञानिक यह समझने में सक्षम होंगे कि सूर्य का कोरोना इतना गर्म क्यों होता है जबकि सूर्य की सतह का तापमान बहुत कम होता है।

PROBA-3 मिशन से भारत को क्या लाभ होगा?

यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) ने इस मिशन को लॉन्च करने का जिम्मा ISRO को सौंपा है, जो इसके विश्वसनीयता और कुशलता का परिचायक है। ISRO को इस मिशन के लिए चुना जाना, भारत की अंतरिक्ष एजेंसी की बढ़ती प्रतिष्ठा को दर्शाता है।

इसके अलावा, भारत को इस मिशन से कई फायदे होंगे:

  1. वैज्ञानिक जानकारी: मिशन से मिलने वाले डेटा के माध्यम से भारतीय वैज्ञानिकों को सूर्य के कोरोना और सौर तूफानों के बारे में नई जानकारी मिलेगी, जिससे भारत का अंतरिक्ष विज्ञान क्षेत्र और मजबूत होगा।
  2. अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा: इस मिशन के सफलतापूर्वक संचालन से ISRO की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा और बढ़ेगी। यह मिशन दिखाता है कि भारत की स्पेस एजेंसी कम बजट में भी बड़ी और जटिल मिशनों को पूरा करने में सक्षम है।
  3. अनुसंधान में सहयोग: इस मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय के साथ सहयोग बढ़ेगा, जिससे भारत को अन्य देशों से भी नई तकनीकी जानकारी मिल सकेगी।