इंदौर 08 मार्च 2021: लॉकडाउन का वह दौर जब युवाओं व वृद्ध भी कोरोना संक्रमण से सहमे हुए थे। सभी अपने-अपने घरों में बस एक ही आस लगाए थे कि कोरोना कब खत्म होगा। बहरहाल कोरोना तो खत्म नहीं हुआ, लेकिन इसके लिए भारत देश ने अपना पहला टीका बनाकर विश्व पटल पर हम सभी को गौरवान्वित होने का अवसर दिया है।
देश के वैज्ञानिकों ने साबित कर दिया कि आज भी भारत देश बौद्धिक क्षमता के आधार पर देश की जनता बल्कि मानव जाति में सबसे आगे है। कोरोना संक्रमण न सिर्फ युवाओं को बल्कि वृद्धों को भी अपनी चपेट में ले रहा था। तब सब टीके को लेकर उम्मीद लगाए बैठे थे। आज जब टीका हमारे शहरों में लगना शुरू हुआ, तो सबकी एक ही आस की हमारी बारी कब आएगी।
आखिरकार 1 मार्च से देश के नागरिकों को टीका लगाना प्रारंभ कर दिया गया। ऐसी स्थिति में इंदौर संभाग के खरगोन के पटेल नगर कॉलोनी निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. श्यामलाल भावसार की 95 वर्षीय पत्नी सुभद्राबाई भी पीछे नहीं रहीं और उन्होंने अपना पंजीयन कराने के बाद पुराना अस्पताल स्थित टीकाकरण केंद्र पहुंचकर टीका लगाया। सुभद्राबाई जिले की पहली सबसे उम्रदराज माता है, जिन्होंने सोमवार को टीका लगवाया है।
3 माह पूर्व हुआ था संक्रमण
खुशी की बात यह है कि 95 वर्षीय सुभद्राबाई को कोरोना संक्रमण होने के बाद भी अपनी इम्यूनिटी के दम पर कोरोना को हराया भी। ज्ञात हो कि सुभद्राबाई की 13 दिसंबर को करोना से संक्रमित हुई थी। इसके बाद इन्हें इंदौर के निजी अस्पताल के भर्ती किया गया था। 4 दिनों तक चले उपचार के पश्चात 6 दिनों के बाद वे पुनः स्वस्थ्य होकर घर लौटी। सोमवार को उन्हें टीका लगवाकर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर सबको संदेश दिया है कि महिला चाहे वह युवा हो या वृद्ध वह कभी भी पीछे नहीं। उन्होंने टीका लगवाकर आज सभी नारी शक्तियों को गौरवांवित होने का मौका भी दिया है।