इंदौर : प्रतिवर्ष 4 मार्च को विश्व एनीमिया दिवस मनाया जाता है। आयुष मेडिकल वेलफेयर फाउंडेशन एवं मेडिकल और हेल्थ मैग्जीन सेहत एवं सूरत और एडवांस्ड होम्योपैथिक मेडिकल रिसर्च एवं वेलफेयर सोसायटी के सहयोग से अप्लास्टिक एनिमिया अवेयरनेस पर प्रतिवर्ष आयोजन किया जाता रहा है।
इसी श्रृंखला में इस वर्ष भी अप्लास्टिक एनिमिया के बारे में जागरुक करने के साथ ही उसके कारण, दुष्परिणाम, बचाव व इलाज की जानकारी देने के लिए एक स्वास्थ रथ तैयार किया गया, जिसके माध्यम से शहर में अप्लास्टिक एनिमिया के बारें में जानकारी देने के साथ-साथ निःशुल्क बुकलेट भी लोगों को प्रदान की गई। यह स्वास्थ्य रथ शहर में 50 हजार लोगों तक पहुंचा। रथ की यात्रा 4 मार्च को होटल अमर विलास पर समाप्त हुई। जहां पर निःशुल्क अप्लास्टिक एनीमिया अवेयरनेस सेमिनार का आयोजन किया भी गया। समापन के अवसर पर सांसद शंकर लालवानी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहें।डॉ ए. के. द्विवेदी ने बताया कि “लोगों में बढ़ती अप्लास्टिक एनीमिया की बीमारी चिंता का विषय है। अगस्त 2020 से फरवरी तक 6 महीने में अप्लास्टिक एनीमिया के करीब 100 मरीज पूरे देश से इंदौर में इलाज के लिए आए। अभी भी लगभग 2 दिन में एक मरीज आ रहा है, जिनमें बच्चे जवान एवं वृद्ध भी शामिल हैं। महिलाओं में अधिक माहवारी के कारण, बच्चों में नाक से खून (नकसीर) के कारण एवं अन्य लोगों में ब्लीडिंग पाइल्स की शिकायत पाई गई। लगभग 65-70% महिलाएं 10-15% बच्चे एवं 25-30% पुरुषों में यह समस्या देखी गई।
उन्होंने आगे बताया कि होम्योपैथिक इलाज के बाद लगभग 65% लोगों में सुधार देखा गया, जिन्हें बार-बार ब्लड अथवा प्लेटलेट्स लगाने होते थे। उनमें सुधार देखा गया। लगभग 15% पेशेंट एक बार होम्योपैथिक दवा लेने के बाद दोबारा नहीं आए। सराहनीय यह है कि होम्योपैथिक दवा के बाद कमजोरी, थकान, बुखार एवं ब्लीडिंग जैसी शिकायत बहुत हद तक कम हो गई।
सेमिनार में दिल्ली से आई शिखा गर्ग ने बताया कि “मैं 2019 से अप्लास्टिक एनेमिया से पीड़ित थी। उस वक्त मेरा हीमोग्लोबिन 3.5 ग्राम हो गया था। कई जगह ट्रीटमेंट कराने के बाद और ब्लड लगाने के बाद भी मेरा ब्लड नहीं बढ़ा, तो अक्टूबर 2019 से मैंने डॉ द्विवेदी सर के मार्गदर्शन में होम्योपैथिक ट्रीटमेंट स्टार्ट किया और अप्रैल 2020 से मुझे एक बार भी ब्लड या प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता नहीं हुई। आज मेरा हीमोग्लोबिन 10 ग्राम से ज्यादा और प्लेटलेट्स 50 हजार से ज्यादा है।”निःशुल्क अप्लास्टिक एनिमिया अवेयरनेस सेमिनार में 7 सेशन आयोजित हुए। पहले सेशन में डॉ सुबीर जैन ने एपिस्टेक्सिक बेसिक अवेयरनेस के बारें में बात की। दूसरे सेशन में डॉ सुष्मिता मुखर्जी ने एब्नॉर्मल यूटेरिन ब्लीडिंग के बारें में बात की। तीसरे सेशन में नेहा गुप्ता ने अप्लास्टिक एनिमिया की डाइट के बारें में बताया। चौथे सेशन में विपिन शर्मा ने अप्लास्टिक एनिमिया के लिए योगिक क्रिया को समझाया। पांचवे सेशन में डॉ ऐ के द्विवेदी ने छटवें सेशन में डॉ वैभव चतुर्वेदी ने सातवें सेशन में डॉ अमित के मिश्रा ने अपनी बात कही। दोपहर में लंच के साथ ही इस समारोह का समापन हुआ।
अप्लास्टिक एनिमिया एक ऐसा रोग है जो जन्म के बाद होता है और यही वजह है कि यदि समय पर ध्यान दिया जाए और सही तरह से उपचार करा लिया जाए तो इसे होने से भी रोका जा सकता है और इसके होने पर उपचार भी सही ढंग से किया जा सकता है। अप्लास्टिक एनिमिया कैंसर से भी भयावह बीमारी है क्योंकि इसमें रोगी को बार-बार रक्तदान की आवश्यकता होती है। बार-बार रक्तदान कराना भी जटिल है और यदि बोनमैरो ट्रांस्प्लांट के जरिए इसे ठीक किया जाता है तो वह बहुत महंगा उपचार साबित होता है, जो कि हर किसी के लिए संभव नहीं है। इसलिए वक्त रहते सही जांच और सही उपचार से इस समस्या से बचा जा सकता है। यह बात प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. ए. के. द्विवेदी ने आयुष मेडिकल वेलफेयर फाउंडेशन द्वारा 4 मार्च 2021 को नि:शुल्क अप्लास्टिक एनिमिया अवेयरनेस सेमिनार में कही।
सेमिनार में शहर के प्रसिद्ध डॉक्टर्स डॉ ए.के. द्विवेदी ने अप्लास्टिक एनिमिया के बारे में जागरुक किया। इन्होंने अप्लास्टिक एनिमिया के कारण, बचाव और उपचार की जानकारियां दी। मेडिकल और हेल्थ मैग्जीन सेहत एवं सूरत और एडवांस्ड होम्योपैथिक मेडिकल रिसर्च एवं वेलफेसर सोसायटी के सहयोग से आयोजित हुए इस सेमिनार में डॉ. द्विवेदी ने कहा कि आमतौर पर अप्लास्टिक एनिमिया को लोग छोटी बीमारी समझते हुए इसे गंभीरता से नहीं लेते। इसके लिए जागरुकता फैलाने वाले सेमिनार भी आयोजित नहीं किए जाते।
यह एक ऐसी बीमारी है, जो कई अन्य बीमारियों को जन्म देती है। अप्लास्टिक एनिमिया किसी एक तय कारण से नहीं होता। दांतो या मसूड़ों से लगातार खून निकलना, लंबे समय तक मासिक धर्म की समस्या से ग्रस्त रहना और पाइल्स की वजह से मल में खून आना, इनमें से किसी भी कारण से व्यक्ति को अप्लास्टिक एनिमिया हो सकता है। कई लोग बुखार, जोड़ों में दर्द या स्कीन की समस्या की दवाई खुद ही लंबे समय तक लेते रहते हैं ऐसे में उन्हें भी अप्लास्टिक एनिमिया होने की आशंका अधिक रहती है।
डॉक्टर की सलाह बगैर लंबे समय तक किसी भी दवाई को लेना एनिमिया को आमंत्रित करता है। इसके अलावा किमौथैरेपी के कारण भी अप्लास्टिक एनिमिया होने का खतरा भी रहता है। हम ऐसी गंभीर बीमारी के बारे में लोगों को जागरुक करना चाहते हैं। यदि लोग शरीर में हिमोग्लोबीन की मात्रा बनाएं रखें और नियमित हिमोग्लोबीन की जांच करवाते रहें तो अप्लास्टिक एनिमिया सहित कई बीमारियों से बचा जा सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि आज का युवा फैशन और तनाव या परेशानी कम करने के लिए ड्रग्स, शराब या धूम्रपान करता है जबकि इससे उसकी परेशानी कम नहीं होती बल्कि और भी बढ़ जाती है। इससे उन्हें ऊर्जा तो नहीं मिलती बल्कि अप्लास्टिक एनिमिया होने की आशंका बढ़ जाती है। इसलिए युवाओं को इससे दूर रहना चाहिए।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें। डॉ. ए. के. द्विवेदी : 9826042287