गेहूँ के दाम में आई तेजी, सोयाबीन और चना में भी बढ़त दर्ज, यहाँ देखें 8 मई 2025 के ताज़ा मंडी भाव

मंडी भाव में बदलाव के पीछे कई कारण हैं। मौसम, परिवहन लागत, मांग-आपूर्ति का संतुलन और व्यापारियों का मुनाफा इनमें प्रमुख हैं। किसानों को सलाह है कि वे नियमित रूप से मंडी रेट्स की जानकारी लें और सही समय पर फसल बेचें।

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Latest Mandi Rate: किसान और व्यापारी मंडियों में फसलों के ताज़ा भाव पर लगातार नजर रखते हैं, क्योंकि इससे उन्हें सही निर्णय लेने में मदद मिलती है। 8 मई 2025 को मध्य प्रदेश की प्रमुख मंडियों—जैसे इंदौर, नीमच, मंदसौर और उज्जैन—में गेहूं, चना, सोयाबीन और सब्जियों के भाव में बदलाव देखने को मिला। इन बदलावों ने खरीदारों और विक्रेताओं दोनों का ध्यान खींचा। आइए, आज की ताज़ा मंडी स्थिति पर एक नज़र डालते हैं।

गेहूं के दाम: स्थिरता के साथ हल्की बढ़त

गेहूं के भाव में 8 मई को मामूली तेजी देखी गई। इंदौर मंडी में गेहूं के दाम स्थिर रहे, लेकिन कुछ मंडियों में प्रति क्विंटल 50-100 रुपये की बढ़ोतरी दर्ज की गई। यह बदलाव मांग और आपूर्ति के संतुलन के कारण हुआ। किसानों को सलाह दी जा रही है कि वे बाजार की स्थिति पर नजर रखें।

सोयाबीन: कीमतों में फिर उछाल

इस बार सोयाबीन की कीमतों में एक बार फिर इज़ाफा देखने को मिला है। मध्य प्रदेश की कई मंडियों में इसके भाव प्रति क्विंटल 200 से 300 रुपये तक बढ़े हैं। यह तेजी मुख्य रूप से बढ़ती मांग और सीमित भंडारण के कारण आई है। व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में सोयाबीन के भाव और अधिक बढ़ सकते हैं।

चना: देसी और डॉलर चना में मिश्रित रुझान

चना के बाजार में मिश्रित रुख रहा। देसी चना के दाम स्थिर रहे, जबकि डॉलर चना में हल्की बढ़त देखी गई। इंदौर मंडी में डॉलर चना के भाव में प्रति क्विंटल 100 रुपये तक की तेजी दर्ज की गई। हालांकि, कुछ मंडियों में चना की कीमतों में मंदी भी देखने को मिली।

सब्जियों के रेट: प्याज और आलू में बदलाव

सब्जियों की बात करें तो प्याज के थोक दामों में कमी आई, जिससे किसानों को राहत मिली। इंदौर मंडी में प्याज के भाव में 50-70 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट देखी गई। वहीं, आलू के दामों में हल्की बढ़त दर्ज की गई, जो गर्मी की मांग को दर्शाता है। अन्य सब्जियों जैसे भिंडी और ग्वार फली के दाम स्थिर रहे।

मंडी भाव को प्रभावित करने वाले कारण

मंडी भाव में बदलाव के पीछे कई कारण हैं। मौसम, परिवहन लागत, मांग-आपूर्ति का संतुलन और व्यापारियों का मुनाफा इनमें प्रमुख हैं। किसानों को सलाह है कि वे नियमित रूप से मंडी रेट्स की जानकारी लें और सही समय पर फसल बेचें।