यूपी में बनेगा देश का सबसे बड़ा बायोप्लास्टिक प्लांट, 2850 करोड़ का होगा निवेश, 225 लोगों को मिलेगा रोजगार

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By Srashti BisenPublished On: May 31, 2025
UP News

उत्तर प्रदेश के औद्योगिक विकास में एक नया मील का पत्थर जुड़ने जा रहा है। बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड ने राज्य के लखीमपुर खीरी जिले में देश का सबसे बड़ा बायोप्लास्टिक उत्पादन संयंत्र स्थापित करने की योजना बनाई है।

इस परियोजना के तहत 2,850 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा और एक 250 टन प्रतिदिन (TPD) क्षमता वाला पालीलैक्टिक एसिड (PLA) प्लांट तैयार किया जाएगा। यह संयंत्र न केवल पर्यावरण हितैषी होगा, बल्कि औद्योगिक क्षेत्र में हरित तकनीक को बढ़ावा देने में भी सहायक साबित होगा।

रोजगार सृजन और हरित प्रौद्योगिकी को मिलेगा बढ़ावा

यूपी में बनेगा देश का सबसे बड़ा बायोप्लास्टिक प्लांट, 2850 करोड़ का होगा निवेश, 225 लोगों को मिलेगा रोजगार

इस परियोजना के माध्यम से प्रत्यक्ष रूप से करीब 225 लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। निवेश का मुख्य उद्देश्य न केवल उत्पादन बढ़ाना है, बल्कि बायोप्लास्टिक जैसे हरित विकल्पों को बढ़ावा देना भी है, जिससे पारंपरिक प्लास्टिक के उपयोग को घटाया जा सके। PLA एक प्रकार का बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक होता है, जो पर्यावरण के लिए कम हानिकारक होता है और टिकाऊ विकास की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है।

राज्य सरकार और उद्योग की साझेदारी

इस महत्वाकांक्षी योजना को साकार करने के लिए ‘इन्वेस्ट यूपी’ और बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड के बीच समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। यह एमओयू मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान इन्वेस्ट यूपी के सीईओ विजय किरन आनंद और कंपनी की कार्यकारी निदेशक अवंतिका सरावगी द्वारा साइन किया गया। राज्य सरकार के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह निवेश उत्तर प्रदेश को एक अग्रणी औद्योगिक राज्य के रूप में स्थापित करने में सहायक होगा।

जल्द होगी परियोजना की शुरुआत

बलरामपुर चीनी मिल्स लिमिटेड के चेयरमैन विवेक सरावगी ने बताया कि प्लांट को जल्द से जल्द चालू करने की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि इस परियोजना से बायोप्लास्टिक सेक्टर में नवाचार को बल मिलेगा और भारत के हरित भविष्य के निर्माण में उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। राज्य सरकार के सहयोग से यह परियोजना तेजी से आगे बढ़ेगी और पर्यावरण-अनुकूल औद्योगीकरण का आदर्श उदाहरण बनेगी।