कैदियों के लिए खुशखबरी, सीएम योगी का बड़ा एलान, काफी ज्यादा बीमार बंदियों की रिहाई…

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By Abhishek SinghPublished On: September 2, 2025

सोमवार को लखनऊ स्थित अपने सरकारी आवास पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा विभाग की समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने गंभीर बीमारियों से पीड़ित बंदियों की समयपूर्व रिहाई के नियमों को सरल बनाने की आवश्यकता पर बल दिया। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि हर साल जनवरी, मई और सितंबर में पात्र बंदियों के मामलों की स्वतः समीक्षा की जाए। यदि किसी कैदी को रिहाई से वंचित किया जाए तो उसके कारण स्पष्ट रूप से दर्ज किए जाएं और बंदी को उस निर्णय के खिलाफ अपील करने का अधिकार प्रदान किया जाए।


बैठक के दौरान अधिकारियों ने जानकारी दी कि प्रदेश में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा सुझाई गई व्यवस्था को लागू करने पर विचार किया जा रहा है, जिससे बंदियों को उनके न्यायिक अधिकारों का लाभ सहज और व्यवस्थित रूप से मिल सके। उल्लेखनीय है कि जनवरी 2025 से अब तक कुल 581 बंदियों को रिहाई प्रदान की जा चुकी है।

बीमार रोगियों की रिहाई की व्यवस्था

सीएम ने निर्देश दिया कि सभी कारागारों में सर्वे कर उन सिद्धदोष बंदियों की वास्तविक संख्या तय की जाए, जो गंभीर या प्राणघातक बीमारियों से जूझ रहे हैं और जिनकी रिहाई से उनके स्वास्थ्य में सुधार की संभावना है। इसी तरह, वृद्धावस्था, अशक्तता या बीमारी के कारण भविष्य में अपराध करने में असमर्थ कैदियों की भी पहचान की जाए। ऐसे दोषसिद्ध बंदी, जो घातक रोग या गंभीर अशक्तता से पीड़ित हैं और जिनकी मृत्यु निकट भविष्य में हो सकती है, उन्हें भी सूचीबद्ध किया जाए। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि महिला और बुजुर्ग कैदियों को प्राथमिकता के आधार पर रिहाई दी जाए।

कैदियों की रिहाई के लिए सरल प्रक्रिया बनाएं

सीएम ने कहा की जो कैदी गंभीर बिमारियों से ग्रसित हों उनकी रिहाई की प्रक्रिया निष्पक्ष, तेज़ और मानवीय संवेदनाओं पर आधारित हो। साथ ही जल्द ही नई नीति का मसौदा तैयार कर अनुमोदन के लिए प्रस्तुत किया जाए। गंभीर बीमारियों से पीड़ित बंदियों की समयपूर्व रिहाई के नियमों को और अधिक सरल, स्पष्ट तथा सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण से तैयार किया जाए।

गंभीर और असाध्य रोगियों के लिए ही हो समयपूर्व रिहाई

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि कैदियों को कृषि और गोसेवा जैसे कार्यों से जोड़ा जाए, ताकि उनकी जेल अवधि का सार्थक उपयोग हो सके। साथ ही उन्होंने कहा कि जेल मैनुअल में यह स्पष्ट रूप से निर्धारित किया जाना चाहिए कि किन बीमारियों को असाध्य रोग की श्रेणी में शामिल किया जाएगा। समयपूर्व रिहाई केवल उन्हीं मामलों में हो, जिनसे समाज को कोई खतरा न हो।

इन कैदियों को बिलकुल नहीं मिलेगी रिहाई

सीएम ने आगे कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करते हुए नीति को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाया जाना चाहिए। इसके तहत योग्य बंदियों की रिहाई अपने आप विचाराधीन हो, ताकि उन्हें अलग से आवेदन न करना पड़े। वहीं, हत्या, आतंकवाद, देशद्रोह और महिला व बच्चों के खिलाफ जघन्य अपराध जैसे गंभीर मामलों में रिहाई बिल्कुल नहीं दी जानी चाहिए।