समुद्र मंथन की कहानी: धन की देवी लक्ष्मी है मंथन का आठवां रत्न,जानें कैसे सागर से निकलीं माँ लक्ष्मी?

Author Picture
By Rishabh NamdevPublished On: November 12, 2023

Happy Diwali: हिन्दू पौराणिक कथाओं में समुद्र मंथन एक महत्वपूर्ण घटना है जिसमें अमृत प्राप्ति के लिए देवता और असुरों के बीच सहमति हुई थी। इस मंथन के दौरान बहुत सारे रत्न और अन्य अमृत के स्रोत सागर से निकले। इसमें से एक रत्न था धन की देवी लक्ष्मी का, जिसने विष्णु को चुना अपने वर के रूप में।

समुद्र मंथन की शुरुआत: समुद्र मंथन की शुरुआत थी जब देवता और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए सागर को हिलाने का निर्णय लिया। उन्होंने एक समुद्र कूप (मंथन कुंज) बनाया और वासुकि नामक सर्प को सागर में डाला।

रत्नों का प्रकट होना: मंथन के द्वारा सागर से निकले कई रत्नों में से एक था धन का प्रतीक, लक्ष्मी का रत्न। जब यह रत्न प्रकट हुआ, तो सभी देवता-असुर चौंक गए क्योंकि यह रत्न धन, समृद्धि, और सौभाग्य का प्रतीक था।

लक्ष्मी का चयन: सभी देवता और असुर लक्ष्मी को अपने साथ रखने के लिए विवादित हो गए। इस पर, भगवान विष्णु ने लक्ष्मी को अपनी पत्नी बनाने का वचन दिया और उन्हें अपने हृदय में स्थान दिया। इससे लक्ष्मी ने भगवान् विष्णु को अपने हृदय में स्थान दिया और समृद्धि और धन की देवी बन गईं।

समुद्र मंथन का किस्सा हमें यह सिखाता है कि धन की प्राप्ति के लिए हमें परिश्रम, विवेक, और भगवान की कृपा की आवश्यकता होती है। लक्ष्मी का चयन दिखाता है कि समृद्धि और धन को बनाए रखने के लिए सही दिशा में भक्ति एवं सेवा में लगे रहना महत्वपूर्ण है।