भारतीय रेलवे हर दिन करोड़ों यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुँचाने का काम करती है। करीब 2.5 करोड़ यात्री रोजाना भारतीय रेलवे की 13,000 से ज्यादा ट्रेनों से सफर करते हैं। इनमें सुपरफास्ट, एक्सप्रेस, राजधानी और वंदे भारत जैसी शानदार ट्रेनें शामिल हैं। लेकिन इन सबके बीच एक ट्रेन ऐसी भी है जो सिर्फ सफर नहीं कराती, बल्कि यात्रियों को रास्ते भर मुफ्त में खाना भी खिलाती है, और वो भी ब्रेकफास्ट से लेकर डिनर तक।
यह खास ट्रेन है सचखंड एक्सप्रेस (12715), जो पंजाब के अमृतसर से चलकर महाराष्ट्र के नांदेड़ तक जाती है। यह ट्रेन दो सिख धार्मिक स्थलों – श्री हरमंदर साहिब (स्वर्ण मंदिर), अमृतसर और श्री हजूर साहिब, नांदेड़ को जोड़ती है। इस ट्रेन का संचालन न केवल एक साधारण यात्रा के रूप में होता है, बल्कि यह सिख श्रद्धालुओं के लिए एक आध्यात्मिक यात्रा भी बन जाती है।

6 स्थानों पर लगता है लंगर, सभी यात्रियों के लिए मुफ्त खाना
सचखंड एक्सप्रेस का सफर करीब 2,000 किलोमीटर लंबा होता है और यह 39 स्टेशनों पर रुकती है। लेकिन इसकी खास बात यह है कि इस यात्रा के दौरान 6 प्रमुख स्थानों पर यात्रियों को लंगर के रूप में मुफ्त भोजन परोसा जाता है। ये स्थान हैं:
- नई दिल्ली
- भोपाल
- परभनी
- जालना
- औरंगाबाद
- मराठवाड़ा
यह ट्रेन अपने सफर को पूरा करने में करीब 33 घंटे का समय लेती है और रास्ते में हर ज़रूरी स्थान पर लंगर के लिए स्टॉप दिया जाता है।
खास है इस ट्रेन का मेन्यू, बदलता रहता है जायका
इस ट्रेन में मिलने वाला भोजन बेहद स्वादिष्ट और सादा होता है, जो हर वर्ग के यात्री को पसंद आता है। आमतौर पर जो व्यंजन परोसे जाते हैं, उनमें शामिल हैं:
- कढ़ी-चावल
- छोले
- दाल
- खिचड़ी
- आलू-गोभी या दूसरी मौसमी सब्ज़ियाँ
खास बात ये है कि यह खाना यात्रियों को बिल्कुल मुफ्त दिया जाता है और इसके लिए उन्हें किसी तरह का शुल्क नहीं देना होता।
दान से चलता है खाना, हर बोगी के यात्री को समान सेवा
इस नेक कार्य के लिए खर्चा गुरुद्वारों को मिलने वाले दान से उठाया जाता है। चाहे यात्री जनरल कोच में सफर कर रहा हो या एसी बोगी में सभी को बराबरी से भोजन परोसा जाता है। कई यात्री तो अपने साथ बर्तन लेकर चलते हैं, ताकि वे लंगर का भरपूर आनंद ले सकें।
29 साल से लगातार जारी है सेवा
सचखंड एक्सप्रेस में पिछले 29 वर्षों से यात्रियों को मुफ्त भोजन दिया जा रहा है। यह सिर्फ एक ट्रेन नहीं, बल्कि सेवा, आस्था और समर्पण का प्रतीक बन चुकी है। भारतीय रेलवे की यह पहल बताती है कि हमारे देश में यात्रा और धर्म का रिश्ता कितना गहरा है।