मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की मुख्यपीठ ने राज्य सरकार को बड़ा झटका देते हुए प्रदेश के लाखों पेंशनरों के हक में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि सरकार को छठवें वेतनमान के 32 महीनों के एरियर्स (बकाया राशि) का भुगतान 6% वार्षिक ब्याज सहित करना होगा। यह फैसला लगभग साढ़े तीन लाख पेंशनरों के लिए राहत लेकर आया है, जिन्हें अब अपनी लंबित राशि ब्याज समेत प्राप्त होगी।
छह महीने में करना होगा भुगतान
न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि सरकार को यह पूरी बकाया राशि छह माह के भीतर चुकानी होगी। कोर्ट ने राज्य सरकार की विशेष अपील (Special Appeal) को खारिज करते हुए कहा कि पेंशनरों का हक अब और नहीं रोका जा सकता। यह फैसला सरकार पर वित्तीय दबाव तो डालेगा, लेकिन पेंशनरों के लिए यह वर्षों की लड़ाई का सुखद अंत है।
पुराना आदेश रहेगा बरकरार
यह निर्णय दरअसल कोर्ट के 2 मार्च 2020 को दिए गए पुराने आदेश को यथावत (In Force) रखता है। उसी आदेश में पहले भी पेंशनरों को छठवें वेतनमान के एरियर्स का भुगतान छह माह में करने के निर्देश दिए गए थे। बता दें कि छठवां वेतनमान 1 जनवरी 2006 से लागू हुआ था, जबकि एरियर्स का मामला 1 जनवरी 2006 से 31 अगस्त 2008 के बीच के 32 महीनों से जुड़ा है। इसी अवधि के दौरान पेंशन में बढ़ोतरी लागू नहीं की गई थी।
याचिका और आदेशों का पूरा क्रम
यह मामला पेंशनर्स एसोसिएशन मध्य प्रदेश के पूर्व महामंत्री एच. पी. उरमलिया की ओर से दायर याचिका से शुरू हुआ था। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि राज्य सरकार ने उस अवधि का एरियर्स कर्मचारियों को तो किस्तों में दे दिया, लेकिन पेंशनरों को यह लाभ नहीं दिया गया। इसी अन्याय के खिलाफ मामला कोर्ट तक पहुंचा।
इसके बाद, मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा सेवानिवृत्त प्राध्यापक संघ सहित अन्य संगठनों ने भी इस मुद्दे को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया। 15 अप्रैल 2024 को हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने पेंशनरों के पक्ष में फैसला सुनाया था। इस आदेश के विरुद्ध सरकार ने युगलपीठ (Division Bench) के समक्ष अपील दायर की थी, जिसे 31 अक्टूबर 2025 को खारिज कर दिया गया।
अब सुप्रीम कोर्ट की शरण में सरकार
हाई कोर्ट से अपील निरस्त होने के बाद राज्य सरकार ने अब सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाखिल की है। यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, लेकिन जब तक वहां से कोई राहत नहीं मिलती, तब तक हाई कोर्ट का आदेश प्रभावी रहेगा। इसका अर्थ है कि राज्य सरकार को छह माह के भीतर भुगतान की प्रक्रिया शुरू करनी ही होगी।
पेंशनरों के लिए बड़ी राहत
यह फैसला प्रदेश के हजारों सेवानिवृत्त शिक्षकों, कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए उम्मीद की नई किरण है। लंबे समय से अपनी पेंशन वृद्धि और एरियर्स के इंतजार में बैठे वरिष्ठ नागरिकों को अब आर्थिक राहत मिलने जा रही है। पेंशनरों के संगठनों ने इस आदेश का स्वागत किया है और कहा है कि यह न्यायपालिका की निष्पक्षता और संवेदनशीलता का उदाहरण है।









