मध्यप्रदेश की राजनीति में बीना की विधायक निर्मला सप्रे का नाम लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। 2023 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधानसभा पहुंचीं सप्रे अब भाजपा के मंचों पर दिखाई दे रही हैं, लेकिन उन्होंने औपचारिक रूप से भाजपा की सदस्यता अभी तक नहीं ली है। उनके विधानसभा सदस्यता रद्द करने के मामले में कांग्रेस ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिससे विवाद और जटिल हो गया है। भाजपा भी फिलहाल उनसे दूरी बनाए हुए प्रतीत हो रही है।
इस पूरे मामले पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और विधायक हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि निर्मला सप्रे भाजपा के 164 विधायकों की सूची में शामिल नहीं हैं और उनका पार्टी का वास्तविक रुख वही बता सकती हैं। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा में संगठनात्मक अनुशासन सर्वोपरि है और बिना सदस्यता लिए कोई भी व्यक्ति आधिकारिक तौर पर पार्टी से जुड़ नहीं सकता।
सदस्यता रद्द करने की मांग
विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान, 7 जुलाई 2024 को नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने विधानसभा अध्यक्ष को आवेदन देकर निर्मला सप्रे की सदस्यता समाप्त करने की मांग की थी। लगभग ढाई महीने बाद यह जवाब मिला कि याचिका के दस्तावेज गुम हो गए हैं। इसके बाद सिंघार ने पुनः आवेदन और संबंधित दस्तावेज स्पीकर कार्यालय को सौंपे। जब 90 दिन तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया, तो 28 नवंबर 2024 को मामला इंदौर हाईकोर्ट पहुंच गया। अब हाईकोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष, राज्य सरकार और निर्मला सप्रे तीनों से जवाब मांगा है।
2023 में बीना सीट सेपहली बार हासिल की जीत
निर्मला सप्रे ने 2023 में सागर जिले की बीना विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान सप्रे राहतगढ़ में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के साथ मंच पर दिखाई दीं, जहाँ उन्होंने सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि वे भाजपा में शामिल हो गई हैं और उन्हें भाजपा का गमछा पहनाया गया। सप्रे ने कहा कि वे “बीना के विकास के लिए भाजपा के साथ आई हैं।” हालांकि, इस सार्वजनिक घोषणा के बावजूद उन्होंने भाजपा की औपचारिक सदस्यता अभी तक नहीं ली है। इसके बावजूद वे भाजपा उम्मीदवार लता वानखेड़े के लिए प्रचार करती रहीं और कांग्रेस से पूरी तरह दूरी बनाए रखीं।










