Mohan Yadav Cabinet Expansion : मध्य प्रदेश की सियासत में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली सरकार के दो साल पूरे होने वाले हैं और इससे पहले एक बड़े मंत्रिमंडल विस्तार या फेरबदल की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है। सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ने अपने सभी मंत्रियों से उनके विभागों के कामकाज की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। इस कदम को सीधे तौर पर मंत्रियों के परफॉर्मेंस ऑडिट से जोड़कर देखा जा रहा है।
यह राजनीतिक हलचल बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा-NDA गठबंधन की बड़ी जीत के ठीक बाद शुरू हुई है। माना जा रहा है कि बिहार में प्रचार के दौरान डॉ. मोहन यादव की सक्रिय भूमिका और पार्टी की जीत में उनके योगदान की दिल्ली में काफी सराहना हुई है। इसी के इनाम के तौर पर पार्टी आलाकमान उन्हें अपनी टीम बनाने के लिए पूरी छूट दे सकता है।
परफॉर्मेंस बनेगा आधार, कुछ की हो सकती है छुट्टी
विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि मंत्रियों के भविष्य का फैसला उनके कामकाज की रिपोर्ट पर निर्भर करेगा। जिन मंत्रियों का प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक नहीं रहा है, उनकी कैबिनेट से छुट्टी हो सकती है। वहीं, कई नए चेहरों को मौका दिया जा सकता है। यह फेरबदल पूरी तरह से ‘परफॉर्मेंस आधारित’ होगा, जिसका उद्देश्य शासन-प्रशासन को और अधिक प्रभावी बनाना है।
कई दिग्गज नेता फिर से कतार में
मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा के साथ ही कई वरिष्ठ विधायकों के नाम भी मंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे चल रहे हैं। इनमें पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव, मालिनी गौड़, अर्चना चिटनिस, अजय विष्णोई, रीती पाठक और ललिता यादव जैसे दिग्गज शामिल हैं। इनमें से कई नेता पहले भी मंत्री रह चुके हैं और उनके समर्थक लंबे समय से उन्हें फिर से मंत्रिमंडल में शामिल करने की मांग कर रहे थे। इसके अलावा, कुछ वरिष्ठ मंत्रियों को केंद्रीय संगठन में भी जिम्मेदारी दिए जाने की तैयारी की खबरें हैं।
मामले पर क्या है पार्टियों का रुख?
इस पूरे घटनाक्रम पर भाजपा ने इसे एक सामान्य प्रक्रिया बताया है। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने कहा,
“हमारी पार्टी हर स्तर पर काम की समीक्षा करती रहती है। मुख्यमंत्री जी खुद हर महीने अधिकारियों और योजनाओं की समीक्षा करते हैं। दो साल पूरे होने पर विभागवार रिपोर्ट मांगी गई है, यह सामान्य प्रक्रिया है। मंत्रिमंडल विस्तार होगा या नहीं, यह मुख्यमंत्री जी का विशेष अधिकार है।”
वहीं, कांग्रेस ने इस पर तंज कसा है। पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा ने कहा,
“बिहार में बंपर जीत का बड़ा श्रेय मोहन यादव को जा रहा है। अब दिल्ली वाले उन्हें पुरस्कार में खुली छूट दे सकते हैं। अगर विस्तार हुआ तो मोहन यादव अपने से बड़े कद वाले नेताओं को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं। कुछ को तो संगठन में भी भेजने की तैयारी है।”
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि आने वाले कुछ हफ्तों में यह फेरबदल हो सकता है। अब सभी की निगाहें मुख्यमंत्री मोहन यादव और दिल्ली में बैठे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के अगले कदम पर टिकी हैं।











