MP के इन शहरों में बढ़ रहा लव जिहाद और हिंदुओं का पलायन, RSS की रिपोर्ट में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

मध्य प्रदेश के भोपाल, विदिशा और अन्य जिलों में लव जिहाद और हिंदू परिवारों के पलायन की समस्या बढ़ रही है, जबकि मोबाइल गेमिंग भी एक नई सामाजिक चुनौती बन रही है। बेंगलुरु में हुई RSS की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में इन 103 समस्याओं के समाधान पर चर्चा की गई।

Abhishek Singh
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मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में लव जिहाद लंबे समय से एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है, और अब हिंदू परिवारों का पलायन भी बढ़ती चिंता का कारण बन रहा है। भोपाल और विदिशा सहित मध्यभारत प्रांत के कई जिलों में इन दोनों समस्याओं का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है। इसके अलावा, मोबाइल गेमिंग भी परिवारों के लिए एक नई चुनौती बनकर सामने आई है। बेंगलुरु में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में ऐसी 103 समस्याओं पर चर्चा हुई, जिनके समाधान के लिए संघ ठोस कदम उठाने की तैयारी कर रहा है।

मध्य भारत प्रांत के संघचालक अशोक पांडेय ने भोपाल में बेंगलुरु में तय किए गए प्रकल्पों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि विदिशा विभाग की 56 व्यावसायिक शाखाओं के सामाजिक अध्ययन में कई महत्वपूर्ण विषय सामने आए हैं, जिनमें नशा मुक्ति की आवश्यकता, सरकारी स्कूलों में घटती छात्र संख्या, गौ एवं नर्मदा संरक्षण की महत्ता प्रमुख हैं। इसके अलावा, सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग को कम करने, अधिक फलदार वृक्ष लगाने, लव जिहाद, धार्मिक चेतना की कमी, संस्कारयुक्त शिक्षा, स्वच्छता, मोबाइल गेमिंग और हिंदू परिवारों के पलायन जैसी समस्याओं के समाधान पर भी ध्यान केंद्रित करने की जरूरत बताई गई।

मध्य भारत में संघ की गतिविधियां

महानगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 2,129 स्थानों पर 3,384 शाखाएं संचालित हो रही हैं। इनमें महानगरों में 37 स्थानों पर 490 शाखाएं, जबकि ग्रामीण जिलों में 2,092 स्थानों पर 2,894 शाखाएं कार्यरत हैं।

तीन दिवसीय 144 प्रारंभिक वर्गों का आयोजन किया गया, जिसमें 8,332 स्वयंसेवकों ने भाग लिया। वहीं, सात दिवसीय 44 प्राथमिक वर्गों में कुल 3,571 स्वयंसेवकों की सहभागिता रही।

617 स्थानों पर 849 साप्ताहिक मिलनों के रूप में संघ का कार्य संचालित हो रहा है। शताब्दी वर्ष के अवसर पर प्रांत के प्रत्येक बस्ती और मंडल तक संघ के कार्यों के विस्तार का लक्ष्य रखा गया है।

15 दिवसीय संघ शिक्षा वर्ग में 1,178 स्वयंसेवकों को प्रशिक्षण दिया गया, जबकि कार्यकर्ता विकास वर्ग-1 में 230 और कार्यकर्ता विकास वर्ग-2 में 35 स्वयंसेवकों ने संघकार्य का प्रशिक्षण प्राप्त किया।

वर्तमान में शाखाओं के तहत 213 सेवा उपक्रम संचालित हो रहे हैं। 715 सेवा बस्तियों में से 232 में शाखाएं सक्रिय हैं, जबकि 445 बस्तियों में विभिन्न सेवा कार्य किए जा रहे हैं। इसके अलावा, 380 सेवा बस्तियों में स्वयंसेवकों का नियमित संपर्क बना हुआ है।

समाज की अनदेखी से बढ़ते वृद्धाश्रम

पांडेय ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वर्तमान में सामाजिक ताना-बाना कमजोर होता जा रहा है। युवा पीढ़ी अपने संस्कारों से दूर होती जा रही है, जिससे परिवारों में विघटन बढ़ रहा है। माता-पिता और बच्चों के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं, जबकि अभिभावक इस बात पर ध्यान नहीं दे रहे कि बच्चे मोबाइल पर क्या देख रहे हैं। यदि यही स्थिति बनी रही, तो भविष्य में आनंदधाम जैसे वृद्धाश्रमों की संख्या में और इजाफा होगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि बच्चों को सही मार्गदर्शन देना अत्यंत आवश्यक है।

संघ इस दिशा में निरंतर प्रयासरत है और कुटुंब प्रबोधन जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से संयुक्त परिवार प्रणाली को प्रोत्साहित किया जा रहा है। पांडेय ने बताया कि इस वर्ष संघ अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है और अधिक से अधिक परिवारों तक पहुंचने का लक्ष्य रखा गया है। 2 अक्टूबर से एक व्यापक अभियान शुरू किया जाएगा, जो 2026 तक जारी रहेगा।