मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को जलगंगा संवर्धन अभियान की समीक्षा बैठक में इसे जनआंदोलन का स्वरूप देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जल स्रोतों की सफाई, संरक्षण और पुनर्जीवन में आम नागरिकों तथा जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी बेहद जरूरी है। अभियान में नवाचार और प्रभावी कार्य करने वाले जिलों की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले जिलों को पुरस्कृत किया जाएगा।
तीन महीने तक चलने वाले इस अभियान के अंतर्गत अब तक प्रदेशभर में 1.06 लाख ‘जलदूत’ तैयार किए गए हैं, जो लोगों को जागरूक करने का कार्य कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि वे स्वयं विभिन्न जिलों में पहुंचकर अभियान की प्रगति का निरीक्षण करेंगे। उन्होंने संबंधित विभागों को निर्देश दिए कि प्राचीन जल संरचनाओं की सूची तैयार कर उन्हें सुरक्षित और स्वच्छ बनाया जाए। विशेष रूप से भोपाल, उज्जैन, सागर और जबलपुर की ऐतिहासिक बावड़ियों को इस अभियान में संरक्षित किया जाएगा।

जनहित में मुख्यमंत्री के विशेष निर्देश
- वन क्षेत्रों में वन्यजीवों और पशुओं के लिए उचित जल प्रबंधन की व्यवस्था की जाए।
- प्राचीन जल संरचनाओं का पुनर्निर्माण कर उन्हें उपयोग में लाया जाए।
- जलदूतों और जनप्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी को और अधिक प्रोत्साहित किया जाए।
- स्थापत्य महत्व वाली ऐतिहासिक बावड़ियों का व्यवस्थित दस्तावेज तैयार किया जाए।
- अमृत सरोवर और खेत तालाब योजना के निर्धारित लक्ष्यों की पूर्णता सुनिश्चित की जाए।
- ग्रामीण और शहरी इलाकों में सार्वजनिक जल प्याऊ की स्थापना की जाए।
- कम जल-खपत वाली फसलों को बढ़ावा दिया जाए।
- नदियों को आपस में जोड़ने की संभावनाओं का गहन अध्ययन किया जाए।
खेत तालाब मिशन में बालाघाट की शानदार उपलब्धि
बैठक में यह बताया गया कि खेत तालाब निर्माण में बालाघाट जिला 561 तालाबों के साथ प्रदेश में शीर्ष पर है। अनूपपुर ने 275 और अलीराजपुर ने 216 तालाब बनाकर क्रमशः दूसरा और तीसरा स्थान प्राप्त किया है। वहीं, अमृत सरोवरों के निर्माण के मामले में सिवनी जिले ने सबसे उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है।
जिलों की नवाचारी पहलें सामने आईं
मुख्यमंत्री ने विभिन्न जिलों से जुड़कर वहां चल रही गतिविधियों की जानकारी ली। भोपाल में कलियासोत नदी और बैरसिया क्षेत्र की ऐतिहासिक जल संरचनाओं की सफाई का कार्य प्रगति पर है। रायसेन जिले में बेतवा नदी के उद्गम स्थल पर जल संरक्षण हेतु बंधान तैयार किए जा रहे हैं। टीकमगढ़ में 70 तालाबों और 10 बावड़ियों को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया है। वहीं ग्वालियर में व्यापारी संगठनों द्वारा प्याऊ लगाने और शरबत वितरण की पहल की गई है।