Indore : न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के निराकरण में आएगी गति, समय-सीमा में प्रस्तुत होंगे जवाब-दावा

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By Shivani RathorePublished On: May 9, 2024

Indore News : संभागायुक्त दीपक सिंह ने आज आदिम जाति कल्याण विभाग के अंतर्गत समूचे इंदौर संभाग से सम्बंधित न्यायालयीन ने प्रकरणों की अद्यतन स्थिति की समीक्षा की। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा आयोजित बैठक में संभाग के सभी ज़िलों के सहायक आयुक्त एवं अन्य सम्बंधित अधिकारी शामिल हुए। बैठक में उपायुक्त अनुसूचित जनजाति विकास इंदौर ब्रजेश पांडे ने विभिन्न ज़िलों में लंबित प्रकरणों की जानकारी प्रस्तुत की।


बैठक में संभागायुक्त दीपक सिंह ने सभी विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे इन प्रकरणों को अपने जिला कलेक्टर के संज्ञान में लाएँ और समय सीमा में जवाब दावा प्रस्तुत कर इनके निराकरण में गति लाएँ।  संभागायुक्त सिंह ने निर्देश दिये कि न्यायालयीन प्रकरणों की सूचना मिलते ही महाधिवक्ता कार्यालय से संपर्क करें एवं फाइल को तत्काल किसी अधिवक्ता को मार्क करायें।

प्रकरण में ओआईसी बनाने का इंतजार न करें, यदि मुख्यालय से ओआईसी नहीं बनाया गया है, तो कलेक्टर से ओआईसी नियुक्त करायें एवं तत्काल कार्यवाही करें। सिंह ने बैठक में निर्देश दिये कि प्रकरण की बिंदुवार संक्षेपिका बना कर अधिवक्ता को प्रकरण के संबंध में विभाग की स्थिति से अवगत करायें। यदि जिले से स्तर ही प्रकरण में कार्यवाही की जानी है, तो तत्काल विधिसम्मत कार्यवाही कर जवाबदावा लगायें। यदि विभागाध्यक्ष या शासन स्तर से कार्यवारी अपेक्षित है, तो तत्काल संक्षेपिका सहित पूरा प्रकरण कलेक्टर के अर्ध शासकीय लेटर से वहाँ भेजें।

अपील के प्रकरण मुख्यालय भेजें
यदि किसी याचिका में निर्णय विभागीय दिशा-निर्देश एवं नियमों के प्रतिकूल है, तो उसका विस्तृत रूप से उल्लेख कर शासकीय अधिवक्ता के अभिमत सहित अपील हेतु प्रकरण मुख्यालय को भेजें। यदि किसी प्रकरण में माननीय न्यायालय ने कोई निर्देश या निर्णय पारित किया है तो उसका विधिसम्मत पालन समय सीमा में करना संबंधित ओआईसी की जिम्मेदारी है।

यदि कोई स्पीकिंग आर्डर पारित करना है, तो विभागीय दिशा-निर्देशों का स्पष्ट उल्लेख करते हुये विस्तृत आदेश पारित किया जाये एवं आदेश की प्रति याचिकाकर्ता को अनिवार्यतः उपलब्ध कराई जाये। माननीय उच्च न्यायालय 31 मई के पश्चात ग्रीष्मावकाश हेतु बंद रहेगा अतः सभी प्रकरणों में 31 मई को पूर्व जवाबदावा लगाया जाता सुनिश्चित करें। जून माह के प्रथम सप्ताह में पुनः समीक्षा की जायेगी तथा यदि किसी भी विभागीय अधिकारी के द्वारा लापरवाही की गई तो कठोर कार्यवाही की जायेगी।