विश्व थैलेसीमिया दिवस पर विशेष : चार बार गर्भपात के बाद इस कपल ने स्वस्थ जुड़वां बच्चे को जन्म दिया

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By Shivani RathorePublished On: May 9, 2024

Indore News : इंदौर के नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी ने लगातार चार बार गर्भपात के संघर्ष को झेलने और आनुवांशिक समस्या, थैलेसीमिया से गुजर रहे कपल को जुड़वां बच्चे के माता-पिता बनने में मदद की। थैलेसीमिया एक आनुवांशिक रक्त विकार है, जिसमें शरीर पर्याप्त रूप से हीमोग्लोबिन का निर्माण नहीं कर पाता। इसकी वजह से एनीमिया की समस्या हो जाती है। यह थकान तथा कमजोरी का कारण बन सकता है और इससे पीड़ित व्यक्ति को नियमित रूप से खून चढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है।


आकाश (37 साल) और नेहा (32 साल) (आग्रह पर परिवर्तित नाम) की आठ साल पहले शादी हुई थी और पिछले दो सालों में चार बार गर्भधारण भी किया, लेकिन दुर्भाग्य से हर बार गर्भपात हो जाता था। इस निराश दंपती ने फिर इंदौर के नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी की डॉ. ज्योति त्रिपाठी से संपर्क किया। उन्होंने विस्‍तार से पूरा मामला जानने और रक्त की जांच के बाद यह पाया कि उन दोनों को ही आनुवांशिक समस्या, थैलेसीमिया है। इसके परिणामस्वरूप हीमोग्लोबिन असामान्य हो जाता है। एचबी इलेक्ट्रोफोरोसिस में यह बात सामने आई कि उन दोनों में थैलेसीमिया का ऐसा प्रकार है जोकि उनके बच्चों तक पहुंचेगा।

आनुवांशिक वाहक स्वस्थ होते हैं, जिनमें कोई लक्षण नहीं होते, लेकिन यह बीमारी वे अपने बच्चे को दे सकते हैं। दुनिया में भारत एक ऐसा देश है जहां थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों की संख्या सबसे ज्यादा है- लगभग 1-15 लाख तक। साथ ही 4.2 करोड़ बीटा थैलेसीमिया प्रकार के वाहक हैं। हीमोग्लोबिन विकार के साथ हर गर्भावस्था में बच्चा होने की संभावना 25% थी।

इसके उपचार के बारे में, डॉ. ज्योति त्रिपाठी, फर्टिलिटी विशेषज्ञ, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी, इंदौर का कहना है, ‘‘इस तरह की परिस्थितियों में उपचार के संपूर्ण तरीके की जरूरत होती है, जहां बार-बार गर्भपात की हिस्ट्री होने के साथ ही दोनों ही पेरेंट आनुवांशिक बीमारी के वाहक हों। इस उपचार में आनुवांशिक परामर्श जरूरी हिस्सा होता है। उस दंपती को यह बताना बेहद जरूरी था कि इस उपचार के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं-पहला, बार-बार गर्भपात होना और दूसरा, आनुवांशिक रूप से प्रभावित बच्चा होने का खतरा।’’

उन्हें प्रीइम्‍प्‍लांटेशन जेनेटिक डायग्‍नोसिस कराने की सलाह दी गई। इस प्रक्रिया से स्‍वस्‍थ भ्रूण का चयन किया गया, जिनमें जेनेटिक बीमारी नहीं थी और थैलेसीमिया की बीमारी नहीं थी। इसके साथ ही आईवीएफ-आईसीएसआई की सलाह दी गई। इस प्रक्रिया के दौरान महिला के एग्स को पति के स्वस्थ शुक्राणु भ्रूण के साथ निषेचित किया गया। फिर जांचे गए तथा रोगमुक्त भ्रूणों को पहले प्रयास में इम्‍प्‍लांट किया गया। इस दंपती को स्वस्थ जुड़वां बच्चे हुए जोकि 8 महीने के हैं।

डॉ. ज्योति आगे कहती हैं, “गर्भधारण की योजना बना रहे सभी दंपतियों की आनुवांशिक रक्त विकारों के लिए जांच की जानी चाहिए। बच्चे के प्रभावित होने के जोखिम को रोकने के लिए वाहक की जांच करने से हमें जोखिम वाले दंपतियों की पहचान करने, आनुवांशिक रोग से ग्रसित बच्चों की संभावना तय करने और उसके अनुरूप गर्भधारण की योजना तैयार करने में मदद मिल सकती है।’’

आकाश और नेहा ने डॉ. ज्योति के थैलेसीमिया की जांच को लेकर जागरूकता के बारे में बताया। उन्होंने कहा,  “काफी सारे डॉक्टरों से सलाह लेने और काफी जांच करवाने के बावजूद, डॉ. ज्योति से मिलने से पहले तक किसी ने भी थैलेसीमिया की जांच करवाने की बात नहीं की। उन्होंने हमें पूरी जांच करवाने की सलाह दी, जिसमें साधारण ब्लड टेस्ट से लेकर हीमोग्लोबिनोपैथी की जांच भी शामिल है।

इस जांच में हमें पता चला कि हम इस रोग के वाहक हैं। अपने होने वाले बच्चे को इस आनुवांशिक रोग से बचाने के महत्व को समझने के बाद गर्भधारण उपचार की योजना उसके अनुसार बदली गई। हम दंपतियों से आग्रह करते हैं कि चुप रहकर कष्ट ना सहें और फर्टिलिटी विशेषज्ञों से सलाह लें।” इंदौर स्थित नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी एक संपूर्ण फर्टिलिटी उपचार केंद्र हैं। इनके पास नवीनतम तकनीकों से लैस लैब हैं और फर्टिलिटी उपचार के लिए ये अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करते हैं।

नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी के विषय में:

नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी, भारतभर में फर्टिलिटी उपचार प्रदान करने वाला सबसे बड़ा प्रदाता है। आईवीएफ में एक दशक से भी अधिक औसत अनुभव, हमारे बेहद अनुभवी आईवीएफ विशेषज्ञ तथा प्रशिक्षित भ्रूण विज्ञानियों के साथ, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी ने देश में 75,000 से भी अधिक सफल गर्भधारण कराए हैं। व्यापक अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञता के साथ, यह फर्टिलिटी चेन भारत में प्रक्रियाओं, प्रोटोकॉल तथा नीतियों के उल्लेखनीय तथा प्रमाणिक मानदंड लेकर आई। चिकित्सा प्रबंधन की व्यक्तिगत उपचार योजना, बेसिक एआरटी और उन्नत एआरटी के माध्यम से- सभी प्रक्रियाओं का मकसद गर्भधारण की संभावना को बेहतर बनाना है। अभी नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी, भारत के 54 शहरों में 77 फर्टिलिटी केंद्रों का संचालन कर रहा है।