स्टेट प्रेस क्लब के रूबरू कार्यक्रम में सुप्रसिद्ध गायिका ने कहा- मेरी सफलता में 90% योगदान माता पिता के त्याग का

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By Srashti BisenPublished On: April 30, 2024

ऑटोकरेक्ट जैसे टूल और रिकॉर्डिंग में बहुत सारी सुविधाओं का बढ़ना गायकों को अपाहिज बना रहा है। सुरों का पक्का होना और रियाज़ का कोई विकल्प नहीं है। छोटे शहरों से निकलकर भी केवल प्रतिभा के दम पर बिना कोई समझौता किए बॉलीवुड में टिका जा सकता है, मैं इस बात का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहती हूं।

यह बात है गायिका, सारेगामा 2019 की विजेता एवं इंडिया’स गॉट टैलेंट की फर्स्ट रनर अप सुश्री इशिता विश्वकर्मा ने स्टेट प्रेस क्लब, मध्यप्रदेश द्वारा आयोजित ‘रूबरू’ कार्यक्रम में कही। उन्होंने उन मुश्किल क्षणों को याद किया जब जीवन भर उन्हें बड़ी गायिका बनाने के लिए प्रयासरत रहे उनके पिता की तेरहवीं सम्पन्न भर हुई थी और उन्हें इंडियाज़ गॉट टैलेंट के आखरी ऑडिशन के लिए कॉल आ गया था।

तब उन्होंने और उनकी माता तेजल जी ने यह विचार किया कि यदि आज इशिता के पिता श्री अंजनी कुमार जीवित होते तो वे क्या निर्णय लेते और फिर उन्होंने बिना समाज की परवाह किए ऑडिशन हेतु मुंबई प्रस्थान किया। इशिता ने कहा कि उनकी सफलता में स्वयं उनकी मेहनत सिर्फ 10% है और 90% योगदान उनके माता-पिता के त्याग और तपस्या का है।

इशिता ने बताया कि केवल रियलिटी शो में सफलता से ही बॉलीवुड में स्थान नहीं मिलता। शो में सफलता से सिर्फ एंट्री और कुछ संबंध मिलते हैं, बाकी मेहनत स्वयं ही करनी होती है। उन्होंने दो शोज़ में सफलता के बाद भी बरसों तक स्क्रैच गाने रिकॉर्ड किए। ऐसे ही एक गीत में उनकी गायिकी सुप्रसिद्ध गायक अरिजीत सिंह को पसंद आने से, उनकी तारीफ के आधार पर निर्माता ने उनकी आवाज़ की रिकॉर्डिंग ही रिलीज़ कर दी और इस तरह उन्हें पहला गाना मिला, वह भी अरिजीत सिंह के साथ ड्यूएट। इशिता ने कहा कि गायन के क्षेत्र में किसी की गायकी का हुनर देखा जाना चाहिए, पहनावा या बाकी बातें नहीं। वह इस बात का उदाहरण बनना चाहतीहै कि फिल्मी दुनिया में सफलता के लिए कोई समझौते करने पड़ते हैं या संस्कार त्यागने होते हैं। यदि प्रतिभा, रियाज़ और धैर्य है तो आपको अपनी शर्तों पर सफलता मिल जायेगी।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह विशाल मिश्रा के संगीत निर्देशन में गाना गाना चाहती हैं। पुराने गानों को ही आज भी गाए जाने को लेकर उन्होंने कहा कि पुराने गानों में आत्मा निवास करती है इसलिए वह सदा जीवित रहेंगे, जबकि नए गानों में ह्यूमन पारफेकशन से ज्यादा मशीनी काम है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि वह कई गायको और संगीतकारों से बहुत कुछ सीखती हैं, लेकिन लता मंगेशकरजी उनकी ऑल टाइम फेवरेट हैं। इशिता ने कुछ गीतों की सु मधुर प्रस्तुति से पत्रकारों एवं संगीत प्रेमियों को आल्हादित कर दिया।

कार्यक्रम से पूर्व स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण कुमार खारीवाल एवं संतोष अग्निहोत्री ने इशिता विश्वकर्मा का सम्मान किया। जबकि श्रीमती रचना जौहरी एवं श्रीमती मीना राणा शाह ने उन्हें स्मृति चिन्ह एवं स्टेट प्रेस क्लब के प्रकाशन भेंट किए। कार्यक्रम का संचालन कर रहे पत्रकार -संस्कृतिकर्मी आलोक बाजपेयी ने अपनी छाप छोड़ी।