संयोगितागंज थाना क्षेत्र में तैनात सहायक उप निरीक्षक भारत सिंह परिहार पर दस्तावेजों में कूटरचना (फर्ज़ी हस्ताक्षर) का गंभीर आरोप लगा है, लेकिन इसके बावजूद उनके विरुद्ध कोई प्रकरण पंजीबद्ध नहीं किया गया। मामला छात्र नेता राधेश्याम जाट के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 129 के अंतर्गत चल रही प्रतिबंधात्मक कार्रवाई से जुड़ा है।
संयोगितागंज पुलिस ने अपने इस्तगासे में दावा किया था कि राधेश्याम जाट एक आदतन अपराधी है और उसे ₹30,000 की प्रतिभूति के साथ तीन वर्ष के लिए “बंद पत्र” के अंतर्गत लिया जाना चाहिए। इस मामले की सुनवाई विशेष कार्यपालक दंडाधिकारी/पुलिस उपायुक्त (ज़ोन-3) की अदालत में चल रही थी।

दिनांक 28 मई 2025 को, जांच अधिकारी भारत सिंह परिहार का परीक्षण हुआ। लेकिन जब राधेश्याम जाट के अधिवक्ता जयेश गुरनानी ने उनका प्रति-परीक्षण किया, तब भारत सिंह परिहार ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने जो दस्तावेज पेश किए, उन पर संयोगितागंज थाना प्रभारी के हस्ताक्षर की कूटरचना उन्होंने स्वयं की थी।
प्रत्यर्पण के बाद पलटते बयान, पर कोई कार्रवाई नहीं
यह गंभीर तथ्य सामने आने के बाद राधेश्याम जाट ने न्यायालय में भारत सिंह परिहार के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किए जाने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया। इसके जवाब में भारत सिंह परिहार ने स्वयं एक आवेदन देकर दावा किया कि परीक्षण के समय उनकी तबीयत खराब थी और उन्होंने चश्मा नहीं पहना था, जिससे गलती हो गई।
न्यायालय ने परिहार के आवेदन को स्वीकार कर लिया और उन्हें पुनः परीक्षण का मौका दिया, लेकिन राधेश्याम जाट के आवेदन पर कोई कार्यवाही नहीं की गई और आरोपी पुलिस अधिकारी के विरुद्ध कोई मामला दर्ज नहीं हुआ।
हाईकोर्ट की शरण में छात्र नेता, लगाया पक्षपात का आरोप
न्यायालय के इस एकतरफा निर्णय से नाराज़ होकर छात्र नेता राधेश्याम जाट ने मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय, इंदौर में याचिका क्रमांक MCRC/25308/2025 दायर की है। याचिका में उन्होंने आरोप लगाया है कि वर्तमान ज़ोन-3 के पुलिस उपायुक्त एवं विशेष कार्यपालक दंडाधिकारी हंसराज सिंह एक पुलिस अधिकारी होते हुए भी अपने कर्तव्यों का निष्पक्ष निर्वहन नहीं कर रहे और आरोपी पुलिस कर्मचारी को अनुचित संरक्षण दे रहे हैं।