पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का बड़ा आरोप, बोले स्वास्थ्य विभाग की अनुबंधित कंपनी ने किया बड़ा फर्जीवाड़ा

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By Abhishek SinghPublished On: September 25, 2025

प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में जांच सेवाएं प्रदान करने के लिए अनुबंधित साइंस हाउस मेडिकल्स प्राइवेट लिमिटेड पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। कंपनी पर मरीजों से उच्च दरें वसूलने और फर्जी मरीजों के नाम पर करोड़ों रुपए की धनराशि गबन करने के आरोप हैं। दिग्विजय सिंह ने सरकार से मामले की तुरंत जांच करने की मांग की है।

जांच शुल्क सामान्य दर से 25% अधिक निर्धारित

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) कार्यक्रम के तहत प्रदेश की स्वास्थ्य संस्थाओं में हब एंड स्पोक मॉडल के माध्यम से जांच सेवाएं प्रदान करने के लिए 25 मई 2021 को टेंडर जारी किया गया। टेंडर में एनएबीएल लैब मानकों के आधार पर शुल्क दरें तय की गईं, जबकि उस समय किसी भी सरकारी लैब के पास एनएबीएल सर्टिफिकेट नहीं था। आरोप है कि जिम्मेदारों ने टेंडर में जांच शुल्क सामान्य दर से 25% अधिक निर्धारित कर दी। इसके अलावा, मिलीभगत के चलते पूरे मामले में ऐसा फर्जीवाड़ा किया गया कि पिछले पांच वर्षों में स्वास्थ्य विभाग ने केवल इन मानकों के आधार पर निजी संस्थाओं को 150 से 200 करोड़ रुपए भुगतान कर दिए, जबकि मानक कभी पूरी तरह लागू नहीं हुए।

सरकार से दिग्विजय सिंह ने यह की मांगें

  • स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए भविष्य में ऐसे अनुबंधों पर कड़े मानक और सख्त निगरानी तंत्र लागू किए जाने चाहिए।
  • साइंस हाउस कंपनी के पिछले पांच वर्षों के सभी भुगतान और जांच रिपोर्ट का ऑडिट कराया जाए।
  • अस्पतालों के रिकॉर्ड को कंपनी द्वारा प्रस्तुत किए गए डेटा के साथ मिलान किया जाए।

भ्रष्टाचार की शुरुआत टेंडर प्रक्रिया से हुई

कंपनी के भ्रष्टाचार और मिलीभगत की कहानी टेंडर प्रक्रिया से ही शुरू हुई। साइंस हाउस ने टेंडर में सबसे अधिक छूट का प्रस्ताव दिया, जबकि प्रतिद्वंद्वी एल-2 कंपनी दूसरे नंबर पर रही। प्रक्रिया में दोनों कंपनियां आमने-सामने थीं, लेकिन ठेका साइंस हाउस को मिला। इसके बाद एल-2 कंपनी न्यूबर्ग का विलय साइंस हाउस में हो गया और दोनों ने पार्टनरशिप में काम करना शुरू कर दिया। यानी टेंडर में प्रतियोगिता केवल औपचारिकता भर थी। राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने साइंस हाउस पर गंभीर भ्रष्टाचार और सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाते हुए डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल से उच्चस्तरीय जांच की मांग की। सिंह ने आरोप लगाया कि साइंस हाउस ने फर्जी मरीज और काल्पनिक जांच दिखाकर सरकार से सैकड़ों करोड़ रुपए का भुगतान लिया।