भोपाल का टर्निंग पॉइंट जो बन गया मीम पॉइंट, 90 डिग्री ब्रिज बना सेल्फी का नया स्पॉट, अब PWD करेगी सुधार की पहल

भोपाल के ऐशबाग क्षेत्र में स्थित 90 डिग्री मोड़ वाला ओवरब्रिज सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सेल्फी स्पॉट बन गया है, जिसे अब सुरक्षा के मद्देनज़र PWD और रेलवे मिलकर दोबारा डिज़ाइन करने जा रहे हैं।

Abhishek Singh
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राजधानी भोपाल के ऐशबाग इलाके में स्थित 90 डिग्री मोड़ वाला ओवरब्रिज, हाल ही में देशभर में सुर्खियों में आ गया है। अब इस ब्रिज के टर्निंग सेक्शन को दोबारा डिज़ाइन करने की योजना बनाई गई है। PWD, रेलवे के सहयोग से इस ओवरब्रिज की रूपरेखा में आवश्यक बदलाव करेगा। दिलचस्प बात यह है कि सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद यह ब्रिज एक लोकप्रिय सेल्फी स्पॉट में तब्दील हो गया है। इसे देखने और तस्वीरें लेने के लिए लोग अब खासतौर पर यहाँ पहुंचने लगे हैं।

टर्निंग पॉइंट जो बन गया मीम पॉइंट

ब्रिज पर पहुंचे लोगों ने बताया कि उन्होंने इसे पहली बार सोशल मीडिया के ज़रिए देखा, जिसके बाद वे इसे देखने के लिए खुद यहां आए। गौरतलब है कि यह ब्रिज अपने अनोखे टर्निंग एंगल को लेकर देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसकी डिजाइन सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल हो रही है और इस पर कई मीम्स भी वायरल हो रहे हैं। हालांकि, उपलब्ध जानकारी के अनुसार ब्रिज को तोड़ा नहीं जाएगा, बल्कि सिर्फ टर्निंग सेक्शन को सुधार कर सुरक्षित बनाया जाएगा, जिससे वाहन टकराकर गिरने की आशंका न रहे। साथ ही, ब्रिज की मौजूदा डिजाइन तैयार करने वाले जिम्मेदारों पर कार्रवाई की जाएगी।

टर्निंग पॉइंट में होगा सुधार

अब फ्लाईओवर का पुनः डिज़ाइन किया जाएगा। इसके फुटपाथ को हटाकर लगभग तीन फीट अतिरिक्त टर्निंग स्पेस तैयार की जाएगी। साथ ही रेलवे ने ब्रिज को 10 फीट तक चौड़ा करने की मंजूरी दी है, जिसके तहत इसे चार फीट और विस्तारित किया जाएगा। इस अतिरिक्त निर्माण की लागत ठेकेदार स्वयं वहन करेगा।

फ्लाईओवर पर मिलेंगी सभी जरूरी सुरक्षा सुविधाएं

फ्लाईओवर पर सुरक्षा के दृष्टिकोण से इलेक्ट्रिक सिग्नल, स्पीड ब्रेकर, रैलिंग और रोड साइन जैसी सुविधाएं भी स्थापित की जाएंगी। सरकार द्वारा ब्रिज की जांच पूरी कर ली गई है, जिसमें स्पष्ट किया गया है कि इसका ड्रॉइंग, डिज़ाइन और निर्माण सभी संबंधित विभागों और एजेंसियों की सामूहिक सहमति से हुआ था।

गौरतलब है कि इस फ्लाईओवर को प्रशासनिक मंजूरी वर्ष 2018 में प्राप्त हुई थी, लेकिन तत्कालीन सरकार की असहमति के चलते निर्माण कार्य वर्ष 2022 में आरंभ हो सका। इसके डिज़ाइन को रेलवे की अनुमति के बाद ही अंतिम रूप दिया गया था और निर्माण लोक निर्माण विभाग व जनप्रतिनिधियों की सहमति से हुआ।