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Indore News: करोड़ों के प्लाट को लेकर उठा-पटक, कलेक्टर ने मामला जांच में लिया

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By Akanksha JainPublished On: February 10, 2021
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इंदौर। आईडीए की स्कीम-114 के पार्ट-टू में शामिल कर्मचारी गृह निर्माण संस्था के सदस्यों को प्लाट देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया, उसके बाद सदस्यों की सूची को लेकर गड़बड़ी हो रही है। कलेक्टर ने मामला जांच में लिया है।
कर्मचारी गृह निर्माण संस्था को 87 प्लाट आईडीए से लेना है। संस्था की तरफ से बार-बार अलग-अलग सूची आईडीए को भेजी जा रही थी। 22 फरवरी 2020 को आईडीए की बोर्ड बैठक में भी ये मामला उठा था। उसके बाद अब 3 दिसंबर 2020 को आईडीए के मुख्य कार्यपालन अधिकारी विवेक श्रोत्रिय ने कर्मचारी गृह निर्माण संस्था के अध्यक्ष और सहकारिता विभाग के संयुक्त पंजीयक और उपायुक्त को चिट्ठी लिखी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। चिट्ठी में लिखा कि उपपंजीयक सहकारिता विभाग ने आरक्षित 88 भूखंड के लिए पात्र सदस्यों की सूची नहीं मिली है, तो क्या संस्था के पास पात्र सदस्य नहीं हैं। दो बार पहले भी आईडीए सहकारिता विभाग से सूची मांग चुका है। इन प्लाटों के लिए 3 करोड़ 50 लाख 91 हजार 921 रुपए प्लाट पेटे, दो फीसदी सालाना दर पर एक साल का एडवांस लीज रेंट पेटे 7 लाख 1 हजार 838 रुपए जमा किए जा चुके हैं। उसके बाद सदस्यों की सूची को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो रही है। पहले एक बार 61 सदस्यों की सूची दी थी। संस्था के पदाधिकारी लगातार बदलाव कर रहे हैं। जो वास्तविक सदस्य हैं, उनको प्लाट नहीं मिल रहे हैं, इस तरह की शिकायतें प्रशासन को मिल रही थी। अब इस पूरे मामले की जांच जिला प्रशासन करवा रहा है। सूची को लेकर संस्था के रिकार्ड में हुई हेराफेरी की जांच में कुछ सदस्यों के संस्था ने प्लाट भी निरस्त किए हैं। स्कीम-114 पार्ट-टू में कोई भी प्लाट 1 करोड़ रुपए से कम का नहीं है। सूत्रों के अनुसार सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया का नाम लेकर भी सहकारिता विभाग के अफसरों पर दबाव बनाया जा रहा है कि सदस्यों के नाम बदले जाएं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सदस्यों की सूची में जो हेराफेरी की है, इस कारण प्रशासन ने आईडीए को प्लाट आवंटित करने से फिलहाल रोक दिया है।