स्पेशल मैरिज को लेकर HC का बड़ा फ़ैसला, बताया मौलिक अधिकारों का हनन

Author Picture
By Rishabh JogiPublished On: January 13, 2021

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश में स्पेशल मैरिज को लेकर इलाहबाद है कोर्ट की लखनऊ बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया है और यह फैसला लव जिहाद के मामलों के बीच हो रही शादियों के रजिस्ट्रेशन को लेकर है। दरअसल स्पेशल मैरिज हाईकोर्ट ने शादियों से पहले नोटिस प्रकाशित होने और उस पर आपत्तियां मंगाने को गलत माना है और इसके खिलाफ फैसला लिया है साथ ही अदालत ने इसे गलत साबित किया है और कहां कि बिना किसी के दखल के अपना जीवनसाथी चुनना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है।

अदालत ने स्पेशल मरीज के इस नियम का गलत बताते हुए इसे किसी व्यक्ति के स्वतंत्रता और निजता के मौलिक अधिकारों का हनन बताया है। अदालत ने विशेष विवाह अधिनियम की धारा 6 और 7 को भी गलत बताया है और कहा कि किसी के दखल के बिना पसंद का जीवन साथी चुनना व्यक्ति का मौलिक अधिकार है। साथ ही स्पेशल मैरिजेस एक्ट को लेकर कोर्ट ने अहम फैसला सुनते हुए, कोर्ट ने अपने इस फैसले में एक महीने तक शादी करने वालों की फोटो नोटिस बोर्ड पर लगाने की पाबंदी को खत्म कर दिया है।

इस स्पेशल मैरिज को लेकर अपने फैसले में कोर्ट ने कहां कि अगर शादी करने वाले युवक-युवती नहीं चाहते हो की उनका ब्यौरा सार्वजनिक न किया जाए, ऐसे लोगों के लिए सूचना प्रकाशित कर उस पर लोगों की आपत्तियां न ली जाए। सिर्फ विवाह कराने वाले अधिकारी के सामने यह विकल्प रहेगा कि वह दोनों पक्षों की पहचान, उम्र व अन्य तथ्यों को सत्यापित कर ले। अ

लखनऊ बेंच ने फैसला सुनते हुए कहां कि
इस तरह का कदम सदियों पुराना है, जो युवा पीढ़ी पर क्रूरता और अन्याय करने जैसा है।ये फैसला हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से जस्टिस विवेक चौधरी ने दिया है। साफ़िया सुलतान की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर कोर्ट ने यह आदेश दिया है, साफिया सुल्तान ने हिंदू धर्म अपनाकर अभिषेक कुमार पांडेय से शादी की थी और शादी करने के लिए सफिया सुल्तान ने अपना नाम बदलकर सिमरन कर लिया और हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद 14 दिसंबर को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। बुधवार को हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच अपना फैसला सुनाते हुए याचिका निस्तारित कर दी है।