एमपी में ईओडब्ल्यू का भ्रष्टाचार पर बड़ा एक्शन, पांच साल में दर्ज हुए 1325 मामले

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By Raj RathorePublished On: September 1, 2025

मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस की कार्रवाई लगातार जारी रही है। 2020 से लेकर अब तक राज्य प्रशासनिक सेवा (एसएएस) के 18 अधिकारियों पर लोकायुक्त पुलिस ने ट्रैप कार्रवाई कर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किए। दिलचस्प बात यह है कि इस अवधि में किसी भी भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारी पर कोई सीधी कार्रवाई नहीं हुई। बीते पाँच सालों में लोकायुक्त पुलिस ने कुल 1325 मामले दर्ज किए, जिनमें सबसे अधिक प्रकरण राजस्व विभाग के कर्मचारियों से जुड़े रहे। इन अधिकांश मामलों में अभी भी जांच चल रही है और नतीजे लंबित हैं।


ईओडब्ल्यू की जांच और कार्रवाई की स्थिति

लोकायुक्त के साथ-साथ आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने भी भ्रष्टाचार के मामलों में सख्ती दिखाई। बीते पाँच साल में ईओडब्ल्यू ने 472 अपराध पंजीबद्ध किए। इनमें से 82 मामलों का निपटारा हो चुका है, जबकि 383 मामलों में कार्रवाई अभी जारी है। विधानसभा के सत्र के दौरान विधायक महेश परमार के सवाल पर सरकार ने लिखित जवाब में यह जानकारी साझा की। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया गया कि सामान्य प्रशासन विभाग ने लोकायुक्त और ईओडब्ल्यू की कार्यवाही की समीक्षा कब और किन जनप्रतिनिधियों या अफसरों की मौजूदगी में की।

राजस्व विभाग और कर्मचारियों पर सबसे ज्यादा शिकंजा

आंकड़ों से साफ है कि भ्रष्टाचार की जद में सबसे ज्यादा राजस्व विभाग के कर्मचारी आए। सिर्फ पटवारियों के खिलाफ ही 60 से अधिक ट्रैप केस दर्ज हुए। यही नहीं, पंचायत स्तर तक भ्रष्टाचार पर कार्रवाई की गई, जिसमें पंचायत सचिव से लेकर सरपंच तक शामिल रहे। अन्य विभागों में भी भ्रष्टाचार उजागर हुआ – पुलिस विभाग के एसआई, स्वास्थ्य सेवाओं में डॉक्टर, वन विभाग के डिप्टी रेंजर, इंजीनियर, बीआरसी और स्कूलों के प्राचार्य तक को लोकायुक्त पुलिस ने ट्रैप किया।

राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों पर गिरी गाज

राज्य प्रशासनिक सेवा के कई अफसर लोकायुक्त की कार्रवाई की जद में आए। इनमें अपर कलेक्टर अशोक कुमार ओहरी, एसडीएम वरुण अवस्थी, दीपक चौहान और मनीष कुमार जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार के प्रकरण दर्ज किए गए। इनके अलावा तहसील स्तर पर भी कई अधिकारियों पर कार्रवाई की गई।

तहसीलदार और नायब तहसीलदार भी आरोपी

तहसील स्तर पर भ्रष्टाचार की शिकायतें भी खूब सामने आईं। तहसीलदार रविशंकर शुक्ल, लक्ष्मण प्रसाद, सुधाकर तिवारी, चंद्रमणि सोनी पर भ्रष्टाचार के प्रकरण दर्ज किए गए। वहीं नायब तहसीलदार उमेश तिवारी, भगवान दास तम्खानिया, बाल्मीक प्रसाद साकेत को भी लोकायुक्त ने पकड़कर मामला दर्ज किया।

नगरीय प्रशासन और पंचायत अधिकारियों पर भी आरोप

पंचायत और नगरीय निकायों से जुड़े अफसर भी भ्रष्टाचार के आरोपों से अछूते नहीं रहे। कार्रवाई की सूची में एसएन पाठक (डीएमपी), अपर आयुक्त नगर निगम भोपाल कमलेश सिंह परिहार, सीएमओ जनपद पंचायत बड़वानी रवि मुवेल, सीएमओ हरसूद मिलन पटेल, सीएमओ जनपद पंचायत सेंधवा रविकांत उइके, कृपाल सिंह सीएमओ चित्रकूट, और सीएमओ नपा मैहर लालजी ताम्रकार के नाम भी शामिल हैं।

50 प्रकरणों में अधिकारियों को क्लीन चिट

लोकायुक्त पुलिस ने जहाँ कई मामलों में चालान पेश किया और कोर्ट में सुनवाई जारी है, वहीं पाँच साल में करीब 50 कर्मचारियों के प्रकरण जांच में दोषमुक्त पाए जाने पर बंद कर दिए गए। यानी कई जगह आरोपों के बावजूद सबूत पर्याप्त न मिलने पर अधिकारियों और कर्मचारियों को राहत भी दी गई।