भारत के बेटे ने रचा इतिहास, अमेरिका से मिला डायबिटीज़ रिसर्च में सर्वोच्च सम्मान

डॉ. भरत साबू को उनके GPT आधारित बहुभाषी AI मॉडल ‘Mitraa’ के लिए American Diabetes Association द्वारा ‘Early Career Abstract Award 2025’ से सम्मानित किया गया है।

Srashti Bisen
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अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत के डॉ. भरत साबू ने देश का नाम रोशन किया है। प्रयास डायबिटीज़ सेंटर के निदेशक और वरिष्ठ डायबेटोलॉजिस्ट डॉ. भरत साबू को American Diabetes Association (ADA) ने ‘Early Career Abstract Award 2025’ से सम्मानित किया है।

यह पुरस्कार उन्हें उनके अभिनव शोध “Mitraa” के लिए प्रदान किया गया है – जो डायबिटीज़ रोगियों को आत्म-प्रबंधन में सहायता देने वाला एक GPT आधारित संवादात्मक एआई मॉडल है।

‘Mitraa’: मरीजों के लिए एक बहुभाषी डिजिटल मित्र

‘Mitraa’ केवल एक तकनीकी नवाचार नहीं, बल्कि मरीजों के लिए एक संवेदनशील संवाददाता है। यह GPT तकनीक पर आधारित AI मॉडल है जो दुनिया की 15 प्रमुख भाषाओं में संवाद कर सकता है। इसका उद्देश्य है – हर मरीज को उसकी मातृभाषा में चिकित्सा जानकारी, परामर्श और मानसिक समर्थन देना। यह मॉडल विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयोगी साबित हो रहा है, जो भाषा या तकनीकी ज्ञान की कमी के कारण स्वास्थ्य संबंधी जानकारी तक सही पहुँच नहीं बना पाते थे। अब, ‘Mitraa’ के माध्यम से, इलाज की राह में भाषा कोई अवरोध नहीं रही।

डॉ. भरत साबू ने इस सम्मान को केवल एक पुरस्कार नहीं, बल्कि एक मानवीय मिशन की मान्यता बताया है। उनके अनुसार, “यह तकनीक मेरे उस भाव को दर्शाती है कि कोई भी मरीज अकेला न महसूस करे। जब तकनीक में हम संवेदना जोड़ते हैं, तो वह सिर्फ टूल नहीं रह जाती – वह एक सहारा बन जाती है।” ‘Mitraa’ इस सोच का जीवंत प्रमाण है, जिसने मरीजों के साथ भावनात्मक जुड़ाव स्थापित कर तकनीक को मानवीय रूप दिया है।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की बुलंद आवाज

यह सम्मान डॉ. साबू को अमेरिका के शिकागो में 20 से 23 जून, 2025 तक आयोजित होने वाली 85वीं ADA साइंटिफिक सेशंस में प्रदान किया जाएगा। यह एक वैश्विक आयोजन है, जहां विश्वभर से अग्रणी चिकित्सक, वैज्ञानिक और नीति-निर्माता एकत्र होते हैं। इस मंच पर डॉ. साबू की उपलब्धि न केवल भारत की चिकित्सा विशेषज्ञता को रेखांकित करेगी, बल्कि भारतीय नवाचार की वैश्विक स्वीकार्यता का प्रतीक भी बनेगी।

युवा चिकित्सकों के लिए एक प्रेरक मिसाल

डॉ. साबू की यह उपलब्धि उन सभी युवा भारतीय डॉक्टरों और शोधकर्ताओं के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों में भी विश्वस्तरीय नवाचार करने का जज़्बा रखते हैं। यह सम्मान यह सिद्ध करता है कि भारत की चिकित्सा सोच अब केवल स्थानीय नहीं रही – बल्कि वैश्विक मंच पर उसे गंभीरता से सुना और सराहा जा रहा है।