ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर की मेघनाद पचेरी की दीवारों में दरारें आ गई हैं। इन दरारों के कारण मंदिर की दीवारों से गंदा पानी बह रहा है, जो आनंद बाजार से राइजर के अंदर आ रहा है। इस गंदे पानी के रिसाव से सेवकों में चिंता बढ़ गई है, क्योंकि इससे दीवारों पर शैवाल के धब्बे भी दिखाई देने लगे हैं।
सरकार की प्रतिक्रिया और एएसआई की भूमिका:
इस समस्या के समाधान के लिए ओडिशा सरकार ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से मदद मांगी है। सेवकों के मुताबिक, एएसआई ने मंदिर की मरम्मत का निरीक्षण किया है और एक तकनीकी टीम ने भी इस दौरान सहयोग किया है। एसजेटीए के अरविंद पाढ़ी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि एएसआई द्वारा मरम्मत का काम जल्दी पूरा कर लिया जाएगा।

ऐतिहासिक महत्व और सुरक्षा चिंताएं:
जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था, और इसकी सुरक्षा को लेकर मंदिर प्रशासन बेहद चिंतित है। कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने भी इस मामले की गंभीरता को स्वीकार करते हुए मरम्मत कार्य को जल्द शुरू करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
पूर्व सरकार की गलतियों का प्रभाव:
पूर्व बीजद सरकार द्वारा मंदिर परिसर के आसपास की तोड़फोड़ का असर अब दिखाई दे रहा है, जिसके चलते दरारें आई हैं। कानून मंत्री ने कहा कि पिछले कार्यों की गलतियों को शीघ्र सुधारना आवश्यक है ताकि मंदिर की संरचना सुरक्षित रह सके। एएसआई की टीम जल्द ही दरारों की मरम्मत के लिए कदम उठाएगी, ताकि मंदिर की दीवारों में से रिसने वाले गंदे पानी की समस्या का समाधान किया जा सके। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इस प्रक्रिया में मंदिर की ऐतिहासिकता और संरचना को बनाए रखा जाए।