इंदौर नगर निगम की शांत स्वभाव वाली नगर निगम आयुक्त हर्षिका सिंह ने मंगलवार को एकाएक गुस्सा दिखाया, जो नगर निगम के चर्चा के विषय में था। दरअसल इस घटना का कारण यह था कि शहर में बारिश के दिनों में होने वाले जल जमाव और बदहाल ड्रेनेज व्यवस्था को लेकर एक जनहित याचिका के संदर्भ में इंदौर हाई कोर्ट में सुनवाई हुई थी।
इस सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रवि मलिमठ ने नगर निगम को कड़ी फटकार, दो साल से नगर निगम के द्वारा नहीं दिये गए उत्तरों और नौ बार जवाब की मांग करने पर भी जबाब न मिलने से उन्हें बड़ा गुस्सा आया।
चीफ जस्टिस ने नगर निगम को दो सप्ताह के अंदर उत्तर देने के लिए आदेश दिए हैं, और साथ ही 25000 की कास्ट भी लगाई है। नगर निगम के विधि विभाग की लापरवाही के कारण मंगलवार को नगर निगम आयुक्त को गुस्सा आ गया और उन्होंने विधि विभाग के सभी अधिकारियों पर कड़ी चिड़चिड़ाहट की। उन्होंने यह भी बताया कि नगर निगम के पास बहुत सारे वकील हैं, लेकिन वे कोर्ट में समय पर जवाब देने में असमर्थ हैं, जिससे यह स्थिति उत्पन्न हो रही है।
जब इंदौर नगर निगम में महापौर के पद पर हाई कोर्ट के पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता पुष्यमित्र भार्गव काबिज हैं उसके बावजूद भी नगर निगम द्वारा कोर्ट में मजबूती से और समय पर जवाब पेश नहीं किया जाना आश्चर्य का विषय है।
इस घटना के परिणामस्वरूप नगर निगम के विधि विभाग के लापरवाही का मामला एक बार फिर सामने आया है, और यह नगर निगम की मान्यता को कम जानकारी और लापरवाही की ओर इशारा कर रहा है।









