सीएम रेखा गुप्ता के सरकारी आवास का नहीं होगा रेनोवेशन, 60 लाख का टेंडर रद्द

राजधानी में राजनीतिक गलियारों में उस वक्त हलचल मच गई जब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के सरकारी आवास के रेनोवेशन को लेकर निकाले गए 60 लाख रुपये के टेंडर को सरकार ने अचानक रद्द कर दिया।

Dilip Mishra
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राजधानी में राजनीतिक गलियारों में उस वक्त हलचल मच गई जब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के सरकारी आवास के रेनोवेशन को लेकर निकाले गए 60 लाख रुपये के टेंडर को सरकार ने अचानक रद्द कर दिया। सरकारी सूत्रों ने मंगलवार को इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि अब मुख्यमंत्री आवास पर कोई नया नवीनीकरण कार्य नहीं होगा। इस फैसले को लेकर जहां सरकार “जनता की भावना और वित्तीय अनुशासन” की दुहाई दे रही है, वहीं विपक्ष ने इस मुद्दे को पहले ही “सरकारी धन की बर्बादी” करार देते हुए जोरदार विरोध दर्ज कराया था। रेनोवेशन के इस प्रस्ताव के खिलाफ विपक्ष के विरोध और जनता की तीखी प्रतिक्रियाओं को देखते हुए सरकार बैकफुट पर आ गई और अंततः टेंडर रद्द कर दिया गया।

सरकार ने टेंडर रद्द कर भेजा स्पष्ट संदेश

मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि राजकोषीय अनुशासन और पारदर्शिता को सर्वोपरि रखते हुए मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने स्वेच्छा से सरकारी आवास के रेनोवेशन को रोकने का निर्णय लिया है। इस कदम को जनता के प्रति जवाबदेही और संवेदनशील प्रशासन की मिसाल के रूप में देखा जा रहा है। सरकार का कहना है कि फिलहाल राज्य के संसाधन जनकल्याण और बुनियादी सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण में लगाए जाएंगे।

विपक्ष के आरोपों के बाद बढ़ा दबाव

मुख्यमंत्री आवास के नवीनीकरण पर जब 60 लाख रुपये की राशि निर्धारित की गई तो विपक्ष ने इसे लेकर सरकार पर करारा हमला बोला। नेता प्रतिपक्ष तेजपाल सिंह यादव ने कहा था कि “जब राज्य में स्कूलों की छतें टपक रही हैं और अस्पतालों में दवाइयों की कमी है, तब सीएम आवास की सजावट पर इतना बड़ा खर्च अमान्य है।” सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे ने जोर पकड़ा और नागरिकों ने इस फैसले को असंवेदनशील और गैरजरूरी करार दिया।

रेनोवेशन पर खर्च को लेकर उठे थे सवाल

सूत्रों के मुताबिक प्रस्तावित टेंडर में फर्नीचर, पेंटिंग, इंटीरियर डिजाइनिंग, एयर कंडीशनिंग सिस्टम और लैंडस्केपिंग जैसे महंगे कार्यों को शामिल किया गया था। लेकिन जनप्रतिनिधियों और नागरिक संगठनों ने सवाल उठाया कि क्या ये खर्च वास्तव में जरूरी थे? इसके बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने स्वयं समीक्षा करने के बाद टेंडर निरस्त करने का निर्देश दिया।

जनहित के फैसलों को प्राथमिकता देने का दावा

बयान में सीएम रेखा गुप्ता ने स्पष्ट किया कि – हमारे लिए जनहित सर्वोपरि है। मेरी सरकार का हर कदम लोगों की भलाई और राज्य के विकास के लिए उठाया जाएगा। मैं अपने कार्यकाल में जनता से जुड़ी योजनाओं को प्राथमिकता दूंगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला आने वाले समय में सरकार की छवि सुधारने में मदद कर सकता है, खासकर जब चुनावी माहौल धीरे-धीरे बनने लगा है।