कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य में बाइक टैक्सी सेवाएं चलाने पर फिलहाल रोक जारी रखते हुए ओला, उबर और रैपिडो जैसी एग्रीगेटर कंपनियों को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इन कंपनियों को कोई भी अंतरिम राहत देने से साफ इनकार कर दिया है और स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार जब तक इस पर स्पष्ट नीति नहीं बनाती, तब तक इन सेवाओं को अनुमति नहीं दी जा सकती।
मुख्य न्यायाधीश वी. कामेश्वर राव और न्यायमूर्ति श्रीनिवास हरीश कुमार की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार और अन्य संबंधित पक्षों को 20 जून तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर उचित दिशा-निर्देश (डायरेक्टिव) जारी करे। अब इस मामले की अगली सुनवाई 24 जून 2025 को होगी।

ओला और उबर की अपील को नहीं मिली राहत
एएनआई टेक्नोलॉजीज (ओला) और उबर इंडिया ने कोर्ट में यह अपील की थी कि बाइक टैक्सी सेवाओं पर लगी रोक हटाई जाए। कंपनियों का तर्क था कि दोपहिया वाहन (टू-व्हीलर) को परिवहन साधन के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति पहले दी जा चुकी है। इनके वकील ध्यान चिन्नप्पा ने कोर्ट को यह भी बताया कि इन सेवाओं से लाखों लोगों को रोजगार मिला है।
नियमों के बिना नहीं मिलेगी अनुमति
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता शशि किरण शेट्टी ने अदालत में यह साफ कहा कि जब तक मोटर वाहन अधिनियम के तहत राज्य स्तर पर स्पष्ट नीति और नियम नहीं बनते, तब तक इन सेवाओं को मंजूरी नहीं दी जा सकती। उन्होंने केंद्र के नियमों को लागू करने के तर्क को नकारते हुए कहा कि यह मामला राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है।
16 जून से बंद हो सकती हैं सभी बाइक टैक्सी सेवाएं
इससे पहले न्यायमूर्ति बी. श्याम प्रसाद ने 2 अप्रैल 2025 को एक आदेश में निर्देश दिया था कि राज्य में चल रही सभी बाइक टैक्सी सेवाएं 6 हफ्तों के भीतर बंद कर दी जाएं। बाद में इस समयसीमा को बढ़ाकर 15 जून कर दिया गया। ऐसे में यदि कोई नया आदेश नहीं आता, तो 16 जून से कर्नाटक में बाइक टैक्सी सेवाएं पूरी तरह बंद हो सकती हैं।
6 लाख लोगों की आजीविका पर संकट
रैपिडो ने कोर्ट में दलील दी कि इस निर्णय से 6 लाख से अधिक लोगों की रोज़गार पर सीधा असर पड़ेगा। कंपनी का कहना है कि उसके 75% राइडर्स की मुख्य आमदनी इसी प्लेटफॉर्म से होती है, और वे हर महीने औसतन 35,000 रुपए कमाते हैं। रैपिडो ने यह भी बताया कि वह अब तक 700 करोड़ रुपए से ज्यादा राइडर्स को भुगतान कर चुकी है और सिर्फ बेंगलुरु शहर में ही 100 करोड़ रुपए से अधिक का GST जमा किया है।