एक नेता की ‘तीर्थयात्रा

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By Mohit DevkarPublished On: March 18, 2021

सुना है सबसे ज्यादा मतों से जीतने वाले भाजपा विधायक रमेश मेंदोला इन दिनों यात्रा पर है। धार्मिक यात्रा। वे केदारनाथ गए हैं। जब बाबा की शरण में है तो जाहिर है भाजपा की बैठकों में क्यों जाएंगे ? वैसे भी दादा दयालु को भाजपा से कुछ खास प्रसाद मिला नहीं, अलबत्ता उनसे हर बार चढ़ावा जरुर पार्टी लेती रहती हैं। राजनीति के इस रणनीतिकार का यू तीर्थयात्री हो जाना समझ से परे हैं। लगता है इस बार प्रसादी के बाद ही दादा दर्शन देंगे। इसके पहले एक महीने तक वे कोरोना संक्रमण के चलते आइसोलेशन में रहे।


प्रदेश में कांग्रेस (कमल)

मध्यप्रदेश कांग्रेस ने लगता है दिल्ली से नाता तोड़ लिया है। या दिल्ली को दरकिनार कर दिया है। अब प्रदेश में ‘कमल कांग्रेस दिख रही। है गोडसे भक्त चौरसिया को पहले कांग्रेस में शामिल करवाना फिर इस फैसले पर आवाज़ उठाने वालों के मुंह बंद करना। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मानक अग्रवाल को कांग्रेस से छह साल के लिए निष्काषित कर दिया गया। सबसे बड़ी बात प्रदेश प्रभारी मुकुल वासनिक को इस बार में पूछा भी नहीं गया। पर, ऊपर वाले (आलाकमान) की नजर हर कदम पर है। जल्द ही दिल्ली भोपाल आ जाएगी।

एक नेता की 'तीर्थयात्रा

बांधवगढ़ की ‘विजय’ गाथा

मध्यप्रदेश के एक मंत्री इन दिनों अपने जंगल प्रेम के लिए चर्चा है। साहब को कभी भी हक उठती है और वे सब काम छोड़कर बांधवगढ़ की तरफ दौड़ पड़ते हैं। पिछले दिनों तो विधानसभा में विभागीय बजट पर चर्चा को ही दो दिन आगे बढ़ाना पड़ा। क्योंकि साहब को बांधवगढ़ जाना था। साहब दो दिन बाद लौटे। अब चर्चा यही है कि बांधवगढ़ में कौन सा बांध टूटा जो साहब को बीच सत्र वहां जाना पड़ा।

‘राधे-राधे’ क्यों दरकिनार

मध्यप्रदेश के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अफसर इन दिनों दृश्य से गायब हैं। ये वही अफसर हैं जो चीफ सेक्रेटरी के लिए भी वरिष्ठता रखते हैं। प्रदेश में शौचालय निर्माण से लेकर नहर और मुख्यमंत्री के जन्मदिन पर पौधे की योजना तक को सींचने वाले इस अफसर को अचानक सूखे का सामना क्यों करना पड़ा ये चर्चा आगे तक जाएगी। अभी तो ‘राधे-राधे’।

इलायची!

मध्यप्रदेश के दो बड़े शहरों की कमान दामाद जी के हाथों में हैं। एक तो घोषित तौर पर दामाद हैं ही दूसरे मानद दामाद। दोनों इस वक्त सरकार भी चला रहे हैं। सरकारी दामाद शब्द के मायने यहां फिट बैठते हैं।