Rangotsav: होली हिंदुओं का मुख्य और सबसे पसंदीदा फेस्टिवल है। पूरे भारत में ये पर्व बड़े ही हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। युवाओं में इसका काफी क्रेज देखने को मिलता हैं. भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में इसका अलग ही उत्साह और जोश देखने को मिलता है। भगवान श्री कृष्ण की नगरी मथुरा में ये रंगोत्सव 40 दिनों तक मनाया जाता है, जिसकी शुरुआत बसंत ऋतु के प्रवेश करते ही हो जाती है।
बसंत पंचमी पर मथुरा के मंदिरों में और होलिका दहन की जगहों पर होली का डंडा गाड़े जाने के बाद से ही इस उत्सव की शुरुआत हो जाती है। परंपरा के मुताबिक बसंत पंचमी के दिन बांके बिहारी मंदिर में सुबह की आरती के बाद सर्व प्रथम मंदिर के पुजारी भगवान बांके बिहारी को गुलाल का टीका लगाकर होली के इस त्यौहार का शुभारम्भ करते हैं। इस दिन मंदिर में भक्तों पर भी जमकर गुलाल उड़ाया जाता है। इसके बाद रंग पंचमी वाले दिन इस रंगोत्सव का समापन होता है, तो चलिए जानते हैं 40 दिनों तक चलने वाले इस रंगोत्सव के विषय में डिटेल्स.
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ब्रज की होली कैलेंडर 2023
- 21 फरवरी 2023 – फुलेरा दूज (फूलों की होली)
- 27 फरवरी 2023 – लड्डू मार होली, बरसाना
- 28 फरवरी 2023 – लट्ठमार होली, बरसाना
- 01 मार्च 2023 – लट्ठमार होली, नंदगांव
- 03 मार्च 2023 – रंगोत्सव, सांस्कृतिक कार्यक्रम, श्रीकृष्ण जन्मस्थान
- 04 मार्च 2023 – छड़ीमार होली, गोकुल
- 06 मार्च 2023 – होलिका दहन, फालेन गांव
- 07 मार्च 2023 – द्वारकाधीश का डोला, द्वारकाधीश मंदिर
- 08 मार्च 2023 – दाऊजी का हुरंगा, बलदेव
- 12 मार्च 2023 – रंग पंचमी पर रंगनाथ जी मंदिर में होली
इस तरह मनाते हैं Rangotsav
बसंत का आगमन होते ही ब्रज में पूरे मंदिर को पीले रंग के पुष्पों से सुसज्जित किया जाता है। ब्रज में 40 दिन तक चलने वाली होली का लुत्फ लेने के लिए श्रद्धालुगण बड़ी मात्रा में कान्हा की नगरी पहुंचते हैं। फुलेरा दूज से ही मथुरा में होली की शुरुआत होती है और इस दिन ब्रज में श्रीकृष्ण के साथ पुष्पों के संग होली खेली जाती है। इसके अतिरिक्त यहां लड्डू मार और लट्ठमार होली का अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। लट्ठमार होली के दिन लट्ठ की मार खाकर लोग भी स्वयं को धन्य मानते हैं।