भाद्रपद माह की चतुर्थी तिथि से लेकर चतुर्दशी तिथि तक गणेश महोत्सव (Ganesh Mahotsav) चलता है जिसे गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी पर्व की शुरुआत 10 सितंबर यानि कल से शुरू हो गई हैं और 19 सितंबर को अनंत चतुर्दशी (Anant Chaturdashi) के दिन उन्हें विदाई दी जाएगी। गणों के अधिपति श्री गणेशजी प्रथम पूज्य हैं सर्वप्रथम उन्हीं की पूजा की जाती है, उनके बाद अन्य देवताओं की पूजा की जाती है।
किसी भी कर्मकांड में श्रीगणेश की पूजा-आराधना सबसे पहले की जाती है क्योंकि गणेशजी विघ्नहर्ता हैं और आने वाले सभी विघ्नों को दूर कर देते हैं। मान्यताओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी पर श्री गणेश की पूजा करना भक्तों के लिए मंगलमय है। कहा जाता है कि गणेश चतुर्थी पर कुंडली में मंगल दोष से छुटकारा प्राप्त करने के लिए विशेष उपाय करने चाहिए। अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल दोष या मांगलिक दोष मौजूद होता है तो जातक के शादी-विवाह में अड़चनें आती हैं। इसके साथ कर्ज का बोझ और जमीन संबंधित मुसीबतों का सामना भी जातक को करना पड़ता है।
करें इन मंत्रों का जाप:
अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल दोष है तो उसे गणेश चतुर्थी पर ॐ भौमाय नम: और ॐ अं अंगारकाय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे मंगल ग्रह शांत होगा और इस दोष से मुक्ति प्राप्त होगी।
हनुमान मंदिर में बाटें बूंदी का प्रसाद:
मंगल दोष से मुक्ति प्राप्त करने के लिए जातकों को हनुमान मंदिर में बूंदी का प्रसाद बांटना चाहिए। इसके साथ मंगल दोष से मुक्ति प्राप्त करने के लिए लोग हर एक मंगलवार को व्रत रखते हैं।
गणेश स्तोत्र का करें पाठ:
गणेश चतुर्थी पर गणेश स्तोत्र का पाठ करें और विधिवत तरीके से श्री गणेश की पूजा करें।
गणेश जी के साथ हनुमान जी की करें पूजा:
अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल दोष है तो उसे गणेश चतुर्थी पर श्री गणेश और भगवान हनुमान की पूजा और ध्यान करना चाहिए।
हनुमान मंदिर में चढ़ाएं लाल सिंदूर:
गणेश चतुर्थी पर हनुमान मंदिर में लाल सिंदूर चढ़ाएं। इसके साथ जरूरतमंद लोगों को लाल वस्त्र या लाल मसूर की दाल का दान करें।