हाल के वर्षों में, चुनावी रणनीतियों में एक नया और प्रभावी तरीका सामने आया है: मुफ्त योजनाओं की घोषणा। राजनीतिक दल चुनाव जीतने के लिए गरीब और मध्यम वर्ग के मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए इस रणनीति का उपयोग करते हैं। इस प्रकार की योजनाओं के जरिए सरकारें विभिन्न वर्गों को वित्तीय सहायता देने का वादा करती हैं, जिससे वे चुनावी जीत की उम्मीद जताती हैं। हालांकि, इस प्रकार की योजनाओं से चुनावी सफलता तो मिलती है, लेकिन इनका राज्य की आर्थिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
वर्तमान में इस रणनीति का प्रभाव इतना अधिक बढ़ चुका है कि वित्त विभाग ने चिंता जताई है कि अगर राज्य सरकारें इस तरह की योजनाओं को और बढ़ाती हैं, तो केंद्र को हस्तक्षेप करना पड़ सकता है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव इसका ताजा उदाहरण है। चुनावों से पहले, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके सहयोगियों ने 2.5 करोड़ महिलाओं को 1,500 रुपये मासिक सहायता देने की योजना शुरू की थी। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को आकर्षित करना था। इसका परिणाम यह हुआ कि बीजेपी गठबंधन ने शानदार जीत दर्ज की, जो लोकसभा चुनाव में हुई हार के बाद एक बड़ी वापसी थी।
दिल्ली सरकार की महिला सम्मान योजना
इसी तरह की योजनाओं का पालन करते हुए, दिल्ली सरकार ने भी महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना (MMMSY) शुरू की है। इसके तहत, 18 साल से ऊपर की महिलाओं को हर महीने 1,000 रुपये दिए जाएंगे। इस योजना से दिल्ली की लगभग 20 लाख महिलाएं लाभान्वित होंगी।
हालांकि, इस योजना को लेकर दिल्ली सरकार के वित्त विभाग ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। योजना की अनुमानित लागत लगभग 4,560 करोड़ रुपये प्रति वर्ष है। इस खर्च से पहले ही 11,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी का बोझ उठाने वाली सरकार के बजट पर भारी दबाव पड़ेगा।
चरमरा रही राज्यों की अर्थव्यवस्था
दिल्ली के वित्त विभाग का मानना है कि यदि यह योजना लागू होती है, तो वित्त वर्ष 2025-26 में दिल्ली सरकार का बजट घाटा बढ़ सकता है। इससे राज्य की वित्तीय स्थिति कमजोर हो सकती है और केंद्रीय सरकार को हस्तक्षेप करने की आवश्यकता पड़ सकती है। दिल्ली को अन्य राज्यों की तरह बाजार से कर्ज लेने की अनुमति नहीं है, और इसे महंगे नेशनल स्मॉल सेविंग फंड (NSSF) का सहारा लेना पड़ता है।
नियंत्रित सब्सिडी और अतिरिक्त खर्च
इसके अलावा, दिल्ली जल बोर्ड के लिए 2,500 करोड़ रुपये के अनुदान की आवश्यकता और MMMSY योजना से जुड़ी लागत राज्य पर 7,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ डालेगी। इन सब खर्चों के कारण, सरकार के लिए संतुलित बजट बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
वहनीयता पर सवाल
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की योजनाएं, हालांकि राजनीतिक दृष्टि से लाभकारी हो सकती हैं, लेकिन दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता के लिए गंभीर खतरे का कारण बन सकती हैं। यदि राज्यों की वित्तीय स्थिति अधिक खराब होती है, तो केन्द्रीय हस्तक्षेप अपरिहार्य हो सकता है।
अंततः, मुफ्त योजनाएं चुनावी सफलता दिला सकती हैं, लेकिन इनकी बढ़ती लागत राज्य के दीर्घकालिक आर्थिक स्वास्थ्य के लिए खतरे का कारण बन सकती है। यह राज्य सरकारों के लिए एक बड़ा दांव हो सकता है, जो राजनीतिक लाभ की कीमत पर आर्थिक स्थिरता को चुनौती दे सकता है।