महिला लेखन ने बहुत संघर्षों के बाद आज अपने लिए खुद जमीन बनाई- डॉक्टर सूर्यबाला

diksha
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Indore: देश की जानी मानी लेखिका डॉक्टर सूर्यबाला का कहना है कि महिला लेखन को पहले दोयम दर्जे का समझा जाता था लेकिन धीरे-धीरे महिला लेखन ने खुद अपनी जमीन तैयार की ।

महिला लेखन ने साहित्य के क्षेत्र में गहरी पैठ बनाई है आज हम बेहद दुर्दांत समय के दौर से गुजर रहे हैं और इसी को हमें साहित्य का विषय बनाना है आज सब दूर साहित्य का बाजार खुल गया है और डिमांड तथा सप्लाई का खेल चल रहा है आपको सब कुछ लिखने के लिए कहा जा रहा है लेकिन सवाल इस बात का है कि हम सब कुछ क्यों लिखें।

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आज लेखिकाओं के सामने यही सवाल है कि वह बाजार के अनुसार लिखें या अपने विवेक का उपयोग करें क्योंकि बाजार तो उन्हें सब कुछ लिखने के लिए बात कर रहा है।

उन्होंने कहा कि हास्य से शुरू हुआ साहित्य व्यंग तक पहुंच गया है और आज व्यंग की आवश्यकता को सबसे ज्यादा महसूस किया जा रहा है उन्होंने कहा कि आज की स्त्री गलत को स्वीकार नहीं करती ऐसी स्त्री को में समर्थ स्त्री मानती हूं आज अश्लीलता का सबसे ज्यादा शिकार स्त्री लेखन हुआ है पुरुष का अहंकार स्त्री लेखन को अश्लील बनाने में जोर देता रहा है मैं ऐसा मानती हूं कि कोई भी विषय अश्लील नहीं होता उन्होंने कहा कि स्त्री विमर्श की बजाय मनुष्य विमर्श होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि आवश्यकता इस बात की है कि आज स्त्री अपने आप को ऊंचा करके देखें स्त्री को उसकी गरिमा देना ही होगी आज की दुनिया को बेहतर बनाने का कौशल सिर्फ स्त्री के पास है ।