महाशिवरात्रि का पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 11 मार्च को मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती का मिलान हुआ था। वहीं शिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। जिसकी वजह से इस दिन का काफी ज्यादा महत्व है। इस दिन व्रत उपवास करने का विधान है। साथ ही महाशिवरात्रि के दिन खास तौर पर भगवान शिव की पूरे विधि-विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है।
मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखने से जातकों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। ऐसा कहा जाता है कि सच्चे मन से उनकी पूजा अर्चना की जाए तो उन्हें केवल एक लोटे जल से प्रसन्न किया जा सकता है। सच्चे मन से भोलेनाथ की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन के सारे कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।
कहा जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन जो व्यक्ति बेल के पत्तों से शिव जी की पूजा करता है और रात के समय जागकर भगवान के मंत्रों का जप करता है, उसे भगवान शिव आनन्द और मोक्ष प्रदान करते हैं। खास बात ये है कि महाशिवरात्रि के खास मौके पर भगवान शिव का जलाभिषेक करने से हर प्रकार के दोषों से छुटकारा मिल जाता है। आज हम आपको शिवलिंग पर जलाभिषेक करने का शुभ मुहूर्त, सामग्री और विधि बताने जा रहे हैं। तो चलिए जानते हैं।
जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त –
महानिशीथ काल- 11 मार्च को रात 11 बजकर 44 मिनट से रात 12 बजकर 33 मिनट तक।
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ- 11 मार्च को दोपहर 2 बजकर 41 मिनट से।
चतुर्दशी तिथि समाप्त- 12 मार्च दोपहर 3 बजकर 3 मिनट तक।
सामग्री –
दूध, दही, शहद, घी, चंदन, शक्कर, गंगाजल, बेलपत्र, कनेर, श्वेतार्क, सफेद आखा, धतूरा, कमलगट्टा, पंचामृत, गुलाब, नील कमल, पान, गुड़, दीपक, अगरबत्ती।
जलाभिषेक करने का सही तरीका –
सबसे पहले शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाएं। उसके बाद पंचामृत चढ़ाएं। फिर फिर दूध, दही, शहद, घी, शक्कर चढ़ा दें बाद में फिर गंगाजल से स्नान कराएं। उसके बाद शिवलिंग में चंदन का लेप, बेलपत्र, कनेर, श्वेतार्क, सफेद आखा, धतूरा, कमलगट्टा, गुलाब, नील कमल, पान आदि चढ़ाएं। बता दे, जलाभिषेक करते समय भगवान शिव के मंत्र या फिर सिर्फ ‘ऊं नम: शिवाय’ का जाप करते रहें। फिर दीपक, अगरबत्ती जलाकर आरती करें। आरती करने के बाद भगवान शिव के सामने अपनी भूल-चूक के लिए माफी भी मांग लें।
महामृत्युंजय मंत्र –
ॐ त्र्यम्बकंयजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात्।।