Mahashivratri: महाशिवरात्रि का त्यौहार इस वर्ष 18 फरवरी को मनाया जाएगा. इस दिन भक्तजनों भगवान शिव का उपवास रखते हैं और उनसे अपनी सभी मनोकामना पूर्ण होने के लिए विनती करते हैं. माना जाता है कि इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था.
चलिए जानते हैं उन कार्यों के विषय में जो हमें महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के दिन भूलकर भी नहीं करने चाहिए.
- महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ को अगर खुश करना चाहते हैं तो इस दिन काले रंग के वस्त्र धारण न करें. इस दिन काले रंग के वस्त्र पहनना काफी अशुभ माना जाता है.
- हिन्दू मान्यता है कि श्रद्धालुओं को शिवलिंग पर चढ़ाए जाने वाले प्रसाद को ग्रहण नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे दुर्भाग्य आता है. ऐसा करने से न केवल आपको धन हानि बल्कि गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं.
- शिवलिंग पर कभी भूलकर भी तुलसीदल नहीं चढ़ाया जाना चाहिए. शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से पूर्व यह ध्यान रखें कि पाश्चुरीकृत या पैकेट का दूध उपयोग में ना लें और शिवलिंग पर ठंडा दूध ही अर्पित करें. भगवान शिव का अभिषेक हमेशा ऐसे पात्र से करना चाहिए जो सोना, चांदी या कांसे का बना हो. अभिषेक के लिए कभी भी स्टील, प्लास्टिक के बर्तनों का उपयोग ना करें.
- बाबा भोलेनाथ को गलती से भी केतकी और चंपा के पुष्प न चढ़ाएं. ऐसा कहा जाता है कि इन पुष्पों को भगवान शिव ने शापित किया था. केतकी का पुष्प सफेद होने के बावजूद भोलेनाथ की पूजा में नहीं चढ़ाना चाहिए.
- शिवरात्रि का व्रत प्रातःकाल प्रारम्भ हो जाता है और अगली सुबह तक रहता है. ऐसे में उपवास रखने वाले जातक को फल और दूध को ही आहार में लेना चाहिए. हालांकि सूर्यास्त के बाद आपको कुछ नहीं खाना चाहिए.
- बाबा भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना में भूलकर भी खंडित टूटे अक्षत नहीं अर्पित करना चाहिए. अक्षत का मतलब होता है- अटूट चावल, यह पूर्णता का प्रतीक है. इसलिए भगवान शंकर को अक्षत चढ़ाते वक्त यह भी देख लें की कहीं चावल टूटे हुए या खंडित तो नहीं हैं.
- शिवलिंग पर सर्व प्रथम पंचामृत चढ़ाना चाहिए. पंचामृत से आशय दूध, गंगाजल, केसर, शहद और जल से बना हुआ मिश्रण. जो लोग चार प्रहर की पूजा करते हैं उन्हें पहले प्रहर का अभिषेक जल, दूसरे प्रहर का अभिषेक दही, तीसरे प्रहर का अभिषेक घी और चौथे प्रहर का अभिषेक शहद से करना चाहिए.
- शिवरात्रि पर बेलपत्र बाबा भोलेनाथ को अवश्य ही अर्पित करना चाहिए और डंठल चढ़ाते वक्त आपकी ओर हो. टूटे हुए या कटे-फटे बेलपत्र नहीं चढ़ाना चाहिए.
- भोलेबाबा को दूध, गुलाब जल, चंदन, दही, शहद, घी, चीनी और जल का उपयोग करते हुए तिलक लगाएं. भगवान शिव को वैसे तो कई तरह के फल अर्पित किए जा सकते हैं, लेकिन शिवरात्रि पर बेर अवश्य ही अर्पित करें. क्योंकि बेर को चिरकाल का चिन्ह माना जाता है.
- हिन्दू मान्यता है कि शिवलिंग या भगवान शंकर की प्रतिमा पर केवल सफेद रंग के ही पुष्प चढ़ाने चाहिए. क्योंकि शिव जी को सफेद रंग के ही पुष्प अतिप्रिय हैं. शिवरात्रि पर आप बाबा भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए चंदन का टीका भी लगा सकते हैं. शिवलिंग पर कभी भी कुमकुम का तिलक ना लगाएं. हालांकि भक्तजन माता पार्वती और भगवान श्री गणेश की मूर्ति पर कुमकुम का तिलक लगा सकते हैं.
- महाशिवरात्रि पर्व के दिन जातक को देर तक शयन नहीं करना चाहिए. इस दिन प्रात जल्दी उठ जाएं और बिना स्नान किए कुछ भी ना खाएं. यदि आपने व्रत नहीं भी किया है तब भी बिना स्नान किए कुछ भी ग्रहण न करें.
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महाशिवरात्रि शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 18 फरवरी 2023 को रात 08 बजकर 02 मिनट पर होगी और इसका समापन 19 फरवरी 2023 को शाम 04 बजकर 18 मिनट पर होगा.
निशिता काल का समय – 18 फरवरी, रात 11 बजकर 52 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक
प्रथम पहर पूजा समय – 18 फरवरी, शाम 06 बजकर 40 मिनट से रात 09 बजकर 46 मिनट तक
द्वितीय पहर पूजा समय – रात 09 बजकर 46 मिनट से रात 12 बजकर 52 मिनट तक
तृतीय पहर पूजा समय – 19 फरवरी, रात 12 बजकर 52 मिनट से 03 बजकर 59 मिनट तक
चतुर्थ पहर पूजा समय – 19 फरवरी, 03 बजकर 59 मिनट से सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक
पारण का समय – 19 फरवरी 2023, सुबह 06 बजकर 10 मिनट से दोपहर 02 बजकर 40 मिनट तक