Diwali 2021 : दिवाली हिन्दू धर्म का सबसे प्रमुख त्योहार में से एक है। इस त्योहार को सभी लोग बड़े ही धूमधाम से मानते है। ये त्यौहार 5 दिन तक मनाया जाता है। इसकी शुरुआत धनतेरस से होती है। इसके बाद रूपचौदस, दिवाली, गोवर्धन पूजा और आखिरी में भाई-दूज मनाई जाती है। इस वर्ष दीपोत्सव की शुरुआत 2 नवंबर से हो रही है। 2 नवंबर को धनतेरस है, वहीं 3 नवंबर को रूपचौदस, 4 नवंबर को दिवाली, 5 नवंबर को गोवर्धन पूजा और 6 नवंबर को भाई-दूज मनाई जाएगी।
वहीं हिन्दू धर्म में आज दिवाली (Diwali) का त्योहार बड़े ही धूम-धाम के साथ मनाया जाएगा। दिवाली की शाम को पूजा का विशेष महत्त्व होता है। दरअसल, ऐसा कहा जाता है कि दिवाली की शाम को जिन घरों में विशेष साफ-सफाई और पूजा-पाठ होती है वहां पर मां लक्ष्मी हमेशा अपना निवास करती हैं। तो चलिए जानते हैं दिवाली (Diwali) पर लक्ष्मी पूजा विधि, पूजा मुहूर्त, पूजन सामग्री और मंत्र …
पूजा मुहूर्त:
लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल मुहूर्त – 06:09 PM से 08:04 PM
लक्ष्मी पूजा निशिता काल मुहूर्त – 11:39 PM से 12:31 AM, नवम्बर 05
अमावस्या तिथि प्रारम्भ – नवम्बर 04, 2021 को 06:03 AM बजे
अमावस्या तिथि समाप्त – नवम्बर 05, 2021 को 02:44 AM बजे
लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त:
प्रातः मुहूर्त (शुभ) – 06:35 AM से 07:58 AM
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 10:42 AM से 02:49 PM
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 04:11 PM से 05:34 PM
सायाह्न मुहूर्त (अमृत, चर) – 05:34 PM से 08:49 PM
रात्रि मुहूर्त (लाभ) – 12:05 AM से 01:43 AM, नवम्बर 05
दिवाली पर लक्ष्मी पूजा की विधि:
-दिवाली पर लक्ष्मी पूजा से पहले पूरे घर की साफ-सफाई करना जरुरी है। इसके साथ ही घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
-घर को अच्छे से सजाने के साथ-साथ मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं।
-पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाकर वहां देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
-चौकी के पास जल से भरा कलश रख दें।
-वहीं माता लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमा पर तिलक लगाएं और उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं।
-दीपक जलाकर उन्हें जल, मौली, गुड़, हल्दी, चावल, फल, अबीर-गुलाल आदि अर्पित करें।
-इसके बाद देवी सरस्वती, मां काली, श्री हरि और कुबेर देव की विधि विधान पूजा करें।
-महालक्ष्मी पूजा के बाद तिजोरी, बहीखाते और व्यापारिक उपकरणों की पूजा करें।
-अंत में माता लक्ष्मी की आरती जरूर करें और उन्हें मिठाई का भोग लगाएं।
-प्रसाद घर-परिवार के सभी सदस्यों में बांट दें।
लक्ष्मी-गणेश पूजन इस दिशा में करें:
दिवाली पर दिशा देखकर ही पूजा करनी चाहिए। बता दें दीपावली पूजन उत्तर या उत्तर-पूर्व दिशा में करना शुभ माना जाता है,क्योंकि वास्तु में उत्तर दिशा को धन की दिशा माना गया है। पूजन करते समय साधक का मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। उत्तर दिशा चूंकि धन की दिशा है इसलिए यह क्षेत्र यक्ष साधना (कुबेर),लक्ष्मी पूजन और गणेश पूजन के लिए आदर्श स्थान है।
पूजा मंत्र:
मां लक्ष्मी मंत्र:
ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
सौभाग्य प्राप्ति मंत्र:
ऊं श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
कुबेर मंत्र:
ऊं यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दा