सिकल सेल बीमारी को खत्म करने के लिए किये जा रहे हैं लगातार प्रयास – सांसद लालवानी

Deepak Meena
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इंदौर : अंतर्राष्ट्रीय सिकल सेल जागरूकता दिवस के उपलक्ष्य में रविवार को राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन अभिनव कला समाज गांधी हाल इंदौर में किया गया। एडवांस्ड होम्योपैथिक मेडिकल रिसर्च एवं वेलफेयर सोसाइटी तथा आयुष मेडिकल वेलफेयर फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में हुए आयोजन में वक्ताओं ने बीमारी की गंभीरता, लक्षण, बचाव के उपाय तथा ईलाज पर अपनी बात रखी। कार्यशाला में सांसद शंकर लालवानी, विधायक रमेश मेंदोला, विधायक महेंद्र हार्डिया, पार्षद विजयलक्ष्मी अनिल गौहर विशेष रूप से मौजूद थे। मुख्य वक्ता के तौर पर   प्रो. डॉ. रवि अशोक डोसी, एसोसिएट प्रो. डॉ. वैभव चतुर्वेदी और सिमरन मीरवानी, डॉ. डीएन मिश्रा, डॉ. भूपेंद्र गौतम थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय होम्योपैथी अनुसन्धान परिषद् के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड के सदस्य डॉ. ए.के. द्विवेदी ने की।
सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि सिकल सेल बीमारी वनवासी क्षेत्र में ज्यादा देखने में आती है। प्रधानमंत्री जी इस बीमारी को खत्म करने के लिए चिंतित है और सरकार द्वारा इसके  उन्मूलन के लिए प्रयास भी किए जा रहें।
विधायक महेन्द्र हार्डिया ने कहा कि सिकल सेल को लेकर केंद्र सरकार  लगातार काम कर रही है। विधायक ने खून की जांच को पुराने समय से जोड़ते हुए कहा कि हमारे बड़े बुजुर्ग विवाह करने से पहले गोत्र देखते थे और एक गोत्र होने पर विवाह नहीं करते थे। इसका कारण था कि एक गोत्र में शादी होने से सिकल सेल सहित अन् कोई बीमारी है तो उसके अगली पीढ़ी में जाने का खतरा होता था। लेकिन अब हमें सिकल सेल जैसी बीमारियों को अगली पीढ़ी में जाने से रोकने के लिए विवाह से पूर्व खून की जांच करवाना ही चाहिए।
एप्रोच टू अ पेशेंट विथ ब्रेथलेसनेस (स्पेशल रिफ्ररेंस टू एनीमिया) विषय पर  डॉ. रवि अशोक डोसी  ने पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से अपनी बात रखी। उन्होंने  बताया कि मरीज को देखते समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए। सांसे फूलने को लेकर कहा कि लोगों को इसे गंभीरता से लेना चाहिए। मरीज को देखते समय सांसे फूलने का कारण, जगह, माहौल और इमोशनल फैक्टर को भी  देखना चाहिए ताकि उस मरीज की संपूर्ण स्थिति के हिसाब से उपचार दिया जा सके।  एनीमिया खून की कमी के कारण भी 25 प्रतिशत लोगों को दमा जैसा प्रतीत होता है, जिसमें मरीज़ के एनीमिया का इलाज करने से ही वह पूरी तरह ठीक हो जाता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. द्विवेदी ने कहा कि भारत सरकार की 2047 में एनीमिया मुक्त भारत की परिकल्पना में सभी चिकित्सकों एवं समाजसेवी संस्थानों तथा जनता को मिलकर सहयोग करना होगा। सिकल सेल की बीमारी अतयंत गंभीर, असाध्य एवं पीढ़ी दर पीढ़ी चलने वाली बीमारी है। इसके लिए जागरूकता के साथ-साथ शादी पूर्व  रक्त जांच जब तक अनिवार्य नहीं होगी तब तक बीमारी को अगली पीढ़ी में जाने से रोका जाना असंभव होगा। सिकल सेल  का इलाज किसी भी चिकित्सा पद्धति  द्वारा  अभी तक संभव नहीं हो सका है लेकिन होम्योपैथी चिकित्सा द्वारा सिकल सेल की बीमारी से पीड़ित मरीजों के दुःख दर्द एवं असहनीय पीड़ा को कम किया जा रहा है। होम्योपैथिक चिकित्सा के माध्यम से कई मरीजों को उपचार दिया गया है जो बिना खून चढ़ाए सामान्य जीवन जी रहे हैं।