जन्मजात विकृति जागरूकता माह क्लब-फुट से ग्रसित बच्चों का किया गया उपचार

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इंदौर : जन्मजात विकृति जागरुकता माह के अंतर्गत आज 13 मार्च 2024 को जिला चिकित्सालय में डॉ. संतोष वर्मा, डॉ. सतीश नेमा, डॉ. भूपेन्द्र शेखावत, आर.बी.एस.के. नोडल डॉ. अरुण पांडे, डॉ. पारस रावत, DEIM अनिल कुमार एवं मेट्रन गायत्री वर्मा की उपस्थिति में क्लब-फुट से ग्रसित बच्चों का उपचार किया गया। इसके अंतर्गत उनके पैरों की कास्टिंग भी की गई।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी.एस. सैत्या ने बताया कि जन्मदोष जन्म के समय मौजूद संरचनात्मक परिवर्तन हैं, जो हृदय, मस्तिष्क, पैर जैसे शरीर के लगभग किसी भी हिस्से को प्रभावित कर सकते हैं। वे शरीर के दिखने, काम करने के तरीके या दोनों को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसी ही एक जन्मजात विकृति का प्रकार है “क्लबफुट”, जिससे की हर 800 नवजात में से एक बच्चा प्रभावित हो सकता है। देश में हर साल 33 हजार बच्चे इस विकृति के साथ पैदा होते हैं।

आर.बी.एस. के. नोडल डॉ. अरुण पांडे ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा चलाए जा रहे राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत क्लबफुट जैसे अन्य जन्मजात बीमारी जन्मजात हृदयरोग, जन्मजात मूक-बधिर, कटे होठ-फटे तालू, जन्मजात मोतियाबिंद एवं 32 दोषों की स्क्रीनिंग की जाती है, ताकि जल्द से जल्द उचित एवं निःशुल्क उपचार प्राप्त कराया जा सके। स्वयंसेवी संस्था अनुष्का फाउंडेशन फॉर एलिमिनेटिंग क्लबफुट पिछले 05 साल से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के साथ काम कर रही है। क्लबफुट जन्मजात दोषों में से एक है, जिसे राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम द्वारा प्राथमिकता दी गई है। वर्तमान में क्लबफुट से पीड़ित 13 हजार से भी अधिक बच्चों का इलाज यह संस्था करवा रही है। पोन्सेटी पद्धति का इस्तेमाल करके क्लबफुट से पीड़ित सभी बच्चों का आसानी से उपचार किया जा सकता है। पोन्सेटी विधि एक न्यूनतम लागत की सर्वोत्तम प्रक्रिया है और पूर्णतः रूप से प्रभावी समाधान प्रदान करती है।

जिला चिकित्सालय के अस्थिरोग विशेषज्ञ डॉ. अर्जुन ने बताया की क्लबफुट का यदि सही समय पर उपचार न कराया जाए, तो बच्चा जीवन भर के लिए विकलांग हो सकता है। इलाज न किया जाने पर प्रभावित बच्चों में भेदभाव, उपेक्षा, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ, अशिक्षा, शारीरिक एवं यौन शोषण का खतरा अधिक बढ़ जाता है। क्लबफुट क्यों होता है? इसका कोई विशिष्ट कारण अभी स्पष्ट नहीं हो सका है, ये विकृति न ग्रहण की वजह से होती है और ना ही माँ से बच्चे को फैलती है।

अनुष्का फाउंडेशन फॉर एलिमिनेटिंग संस्था के सहयोग से देश के कुल 140 जिलों में क्लबफुट का निःशुल्क इलाज प्रदान करवा रहा है। यह सरकारी अस्पताल एवं अनुष्का फाउंडेशन के सहयोग से मुमकिन हुआ है। अनुष्का फाउंडेशन का उद्देश्य जिला अस्पतालों में आर्थोपेडिक चिकित्सकों की क्षमता बढ़ाकर स्थानीय स्तर पर उपचार प्रदान करवाना है।

उच्चतम गुणवत्ता वाले उपचार को सुनिश्चित करने के लिए अनुष्का फाउंडेशन द्वारा, चिकित्सकों को पोंसेटी पद्धति में प्रशिक्षित भी किया जाता है। अनुष्का फाउंडेशन क्लबफुट और इसके उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए आरबीएसके, आशा कार्यकर्ताओं, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों आदि के साथ मिलकर काम कर रहा है। जिला अस्पतालों में साप्ताहिक क्लबफुट क्लीनिक के माध्यम से पीड़ित बच्चों का इलाज किया जाता।

आरएमओ जिला चिकित्सालय डॉ. सतीश नेमा ने बताया की एएनसी जाँचे जरूर करवाए एवं प्रसव चिकित्सीय संस्था में करवाए। आज जब हम विश्व जन्मजात दोष जागरूकता माह मना रहे हैं, अनुष्का फाउंडेशन अपने सभी दानदाताओं और समर्थकों का आभारी है, जो यह सुनिश्चित करने के हमारे उद्देश्य में हमारा समर्थन करते हैं, कि क्लबफुट के साथ जन्म होने के परिणामस्वरूप कोई भी बच्चा बड़ा होकर विकलांग न हो।