Chhath Puja 2024: आज से शुरू हुआ छठ महापर्व, जानें क्या है नहाय-खाय की परंपरा, जानें क्या करते हैं आज

srashti
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Chhath Puja 2024: छठ पूजा हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और कठिन व्रतों में से एक मानी जाती है। यह पर्व विशेष रूप से उत्तर भारत, खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इस महापर्व की शुरुआत हर साल दिवाली के बाद होती है, और इस बार छठ पूजा 5 नवंबर से नहाय-खाय के साथ शुरू हो गई है। यह चार दिवसीय पर्व सूर्य देव और उनकी बहन छठी माता को समर्पित होता है, जिसमें 36 घंटे का कठिन उपवास रखा जाता है। इस दौरान श्रद्धालु सूर्य देव से परिवार की सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करते हैं।

Chhath Puja 2024: आइए जानते हैं इस पर्व से जुड़ी प्रमुख परंपराओं और उनके धार्मिक महत्व के बारे में:
1. नहाय-खाय की परंपरा (Nahay Khay Tradition)

नहाय-खाय छठ पूजा की शुरुआत का प्रतीक है और यह पूजा के पहले दिन होता है। इस दिन व्रति (जो उपवास रखता है) घर के शुद्धिकरण की प्रक्रिया पूरी करते हैं और फिर स्नान कर सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। इस साल, छठ पूजा 5 नवंबर से नहाय-खाय से शुरू हो रही है, जो इस पर्व की पहली परंपरा है। इस दिन व्रति चावल, लौकी की सब्जी, मूली और छोले जैसे शुद्ध और सात्विक भोजन का सेवन करते हैं। इसके बाद परिवार के अन्य सदस्य भी इस भोजन का सेवन करते हैं।

2. नहाय-खाय का धार्मिक महत्व (Nahay Khay Significance)

नहाय-खाय का दिन धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन व्रति की शुद्धता और पवित्रता को स्थापित करता है। इस दिन व्रति आमतौर पर किसी पवित्र नदी या तालाब में स्नान करते हैं, ताकि वे शारीरिक और मानसिक रूप से शुद्ध हो सकें। इसके बाद वे विशेष रूप से कच्चे चावल, चने और लौकी की सब्जी का सेवन करते हैं, जो इस दिन के विशेष भोजन होते हैं। यह भोजन पवित्र और सात्विक माना जाता है। नहाय-खाय में नमक से बचा जाता है और व्रति केवल एक बार भोजन करते हैं।

नहाय-खाय का मुख्य उद्देश्य है आत्म-शुद्धि और सात्विक आहार ग्रहण करना, जिससे व्रति अपने 36 घंटे के कठिन उपवास के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार हो सके। यह दिन छठ पूजा के समर्पण, श्रद्धा और पवित्रता का प्रतीक होता है।

3. छठ पूजा की शुरुआत (Start of Chhath Puja)

नहाय-खाय के दिन से छठ पूजा की शुरुआत होती है। इस दिन व्रति अपने परिवार के कल्याण की कामना करते हुए उपवास की प्रक्रिया में कदम रखते हैं। इसके बाद, अगले तीन दिनों तक व्रति सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस व्रत में व्रति पानी नहीं पीते, केवल फलाहार करते हैं और दिन-रात की कठिन साधना करते हैं।

नहाय-खाय का दिन छठ पूजा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो व्रति की पवित्रता और सात्विकता का प्रतीक होता है। यह दिन व्रति के लिए शुद्ध आहार, आत्म-शुद्धि और मानसिक रूप से उपवास की तैयारी का अवसर होता है। इस दिन की परंपराओं को ध्यान में रखते हुए, पूरे चार दिन का यह महापर्व श्रद्धा, आस्था और समर्पण के साथ मनाया जाता है।