वरिष्ठों के लिए ‘स्वास्थ्य’ आने वाले दशक में एक निश्चित अवसर

Shivani Rathore
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नई दिल्ली : नैटहेल्थ- हेल्थकेयर फेडरेशन ऑफ इंडिया के तत्वावधान में सीनियर केयर फोरम , एएसएलआई, फिक्की और एमटीएआई के सहयोग से निजी स्वास्थ्य क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र का प्रतिनिधित्व करने वाली एक शीर्ष संस्था ने पीडब्ल्यूसी के साथ तकनीकी सहयोग से “भारत में वरिष्ठ देखभाल में सुधार” पर एक श्वेत पत्र लॉन्च किया। वर्तमान में, भारत को एक युवा जनसंख्या लाभांश प्राप्त है, परन्तु अगले कुछ दशकों में ज्यादा उम्र की आबादी होगी और यह 2050 तक 330 मिलियन व्यक्तियों तक बढ़ सकती है।

बढ़ती हुई बुजुर्गों की आबादी, बढ़ी हुई जीवन प्रत्याशा, बेहतर अफ्फोर्डबिलिटी, बीमारीओं का कम होना और बदलते पारिवारिक ढांचे के कारण वरिष्ठ व्यक्तिओं की देखभाल के लिए मेडिकल एंड नॉन-मेडिकल, दोनों तरह की चिकित्सा की आवश्यकता बढ़ रही है। बढ़ती उम्र की आबादी के साथ देखभाल और संसाधनों की मांग में वृद्धि होगी। पेपर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एक मजबूत नीतिगत ढांचे की आवश्यकता है। बुजुर्गों के देखभाल के लिए उचित फाइनेंसिंग की व्यवस्था- सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों में शामिल एक वृद्ध कल्याण पारिस्थितिकी तंत्र, भारतीय बुजुर्गों को उनके बुढ़ापे में एक स्वस्थ और समृद्ध जीवन जीने में मदद कर सकता है।

डॉ विनोद कुमार पॉल, माननीय सदस्य-हेल्थ, नीति आयोग ने कहा, “बुजुर्गों की देखभाल एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र है। वरिष्ठ नागरिकों की वित्तीय सुरक्षा का मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है और हमें उन निजी बीमा मॉडलों को देखना चाहिए जिन्होंने अन्य देशों में अच्छा काम किया है। हमें अपनी मौजूदा प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणालियों में वरिष्ठ देखभाल को शामिल करने के तरीकों पर गौर करना चाहिए। हमें बुजुर्गों की देखभाल को बढ़ाने के लिए सीएसआर फंड को सही तरीके से व्यवस्थित करने के सही तरीके की पहचान करनी चाहिए। टेलीहेल्थ मॉडल एक अन्य महत्वपूर्ण कारक है जो कि सभी तरह के भौगोलिक क्षेत्रों में वरिष्ठ नागरिकों तक पहुंचने के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है।

मिनिस्ट्री ऑफ़ सोशल जस्टिस एंड एम्पावरमेंट के सचिव श्री आर. सुब्रह्मण्यम ने कहा, “वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल तत्काल सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राथमिकताओं में से एक है जिसे हमें सामूहिक रूप से एक राष्ट्र के रूप में संबोधित करना चाहिए। एक पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप हमें समस्या का प्रभावी ढंग से समाधान करने में मदद करेगी और हमें बुजुर्गों की देखभाल के लिए एक बेहतर इको-सिस्टम बनाने में सक्षम बनाएगी।