Gold Price News : सोने की कीमतों में हाल ही में तेज़ी से वृद्धि देखी गई है, जिससे आम आदमी के लिए इसे खरीदना काफी मुश्किल हो गया है। हालाँकि, 5 दिसंबर को सोने के दामों में मामूली गिरावट आई। दिल्ली में 24 कैरेट सोने की कीमत प्रति दस ग्राम 78,445 रुपए रही, लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या सोने की कीमतें और नीचे जा सकती हैं?
मौद्रिक नीति और अंतरराष्ट्रीय तनाव का असर
सोने की कीमतों को प्रभावित करने वाले कई कारक हैं, जिनमें से एक है भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति पर आधारित निर्णय। कल यानी 6 दिसंबर को RBI की मौद्रिक नीति समिति की बैठक होने वाली है, जिसमें यह तय होगा कि रेपो रेट में कोई बदलाव होगा या नहीं। अगर रेपो रेट में कटौती होती है, तो सोने की कीमतों पर इसका प्रभाव पड़ सकता है। इसके अलावा, अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम भी सोने की कीमतों को प्रभावित करते हैं। जैसे कि इज़रायल-हिज़बुल्लाह के बीच बढ़ते तनाव और रूस-यूक्रेन युद्ध की स्थिति, जिससे वैश्विक अस्थिरता बढ़ सकती है और सोने की मांग में इजाफा हो सकता है। जब भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उथल-पुथल होती है, तो निवेशक अपने निवेश को सुरक्षित रखने के लिए सोने में निवेश बढ़ा देते हैं, जिससे सोने की कीमतों में तेजी आती है।
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भारत में शादी सीजन का असर
भारत में शादी का मौसम चल रहा है, और इस दौरान सोने की मांग में काफी बढ़ोतरी देखी जाती है। शादियों में सोने का उपयोग परंपरा का हिस्सा है, और यह भी सोने की कीमतों को ऊपर ले जा सकता है। ऐसे में, अगले कुछ महीनों में सोने की कीमतें और भी बढ़ सकती हैं, विशेष रूप से त्योहारी सीजन में।
सोने की कीमतों में गिरावट का अनुमान
हालाँकि, कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सोने की कीमतों में और गिरावट हो सकती है। प्रमुख अर्थशास्त्री आनंद श्रीनिवासन का मानना है कि मार्च 2025 तक सोने की कीमतों में उतार-चढ़ाव होगा, और इस दौरान सोने की कीमत लगभग 2,500 रुपए प्रति दस ग्राम तक गिर सकती है। हालांकि, श्रीनिवासन ने यह भी कहा कि निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भविष्य में सोने की कीमत 1 लाख रुपए प्रति दस ग्राम तक पहुंच सकती है।
कौन तय करता है सोने की कीमत ?
अब, यह समझना जरूरी है कि सोने की कीमतें तय कैसे होती हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, लंदन बुलियन मार्केट एसोसिएशन (LBMA) सोने की कीमतों का निर्धारण करता है। यह संगठन सोने की कीमतों को अमेरिकी डॉलर में प्रकाशित करता है, जो वैश्विक बाजार के लिए बेंचमार्क होती है। वहीं, भारत में, इंडियन बुलियन ज्वैलर्स एसोसिएशन (IBJA) सोने की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में आयात शुल्क और अन्य टैक्स जोड़कर यह निर्धारित करता है कि रिटेल विक्रेताओं को सोना किस कीमत पर बेचा जाएगा।