BJP Vice President Candidate Jagdeep Dhankhar: बीजेपी की संसदीय बोर्ड की बैठक में शनिवार शाम उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के नाम पर चर्चा की गई. इसके बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. बता दें कि जगदीप धनखड़ राजस्थान के झुंझुनू जिले के निवासी हैं और सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी माने जाते हैं. राजस्थान में हुए जाट आरक्षण के दौरान भी उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई थी. सियासी सूझबूझ के साथ वह कानून के भी जानकार है. राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में वो प्रेसिडेंट के पद पर रह चुके हैं.
परिवार
गोकल चंद और केसरी देवी के बेटे जगदीप चार भाई-बहनों में दूसरे नंबर पर आते हैं. उनके एक बड़े भाई और एक छोटा भाई और बहन है. साल 1979 में उनकी शादी सुदेश धनखड़ से हुई. उनकी एक बेटी कामना है जिसकी शादी कार्तिकेय वाजपेयी से हुई और एक नाती कविश भी है.
शिक्षा
राज्यपाल जगदीप धनखड़ की शुरुआती पढ़ाई किठाना गांव के सरकारी माध्यमिक स्कूल से हुई. पांचवी तक पढ़ाई करने के बाद उन्होंने गर्धाना के गवर्नमेंट मिडिल स्कूल में एडमिशन लिया. वो अपने अन्य साथियों के साथ स्कूल जाने के लिए 4 से 5 किलोमीटर तक सफर तय करते थे. इसके बाद उन्होंने और उनके भाई ने सैनिक स्कूल में भी शिक्षा प्राप्त की है. अपनी स्कूली शिक्षा समाप्त करने के बाद जयपुर के महाराजा कॉलेज से उन्होंने फिजिक्स में स्नातक किया और 1978-79 के दौरान वकालत की डिग्री हासिल की.
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करियर
वकालत की डिग्री हासिल करने के बाद जगदीप धनखड़ ने राजस्थान के बार काउंसिल में वकील के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की. 1990 से उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करना शुरू किया और सबसे कम उम्र में राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष चुने जाने का गौरव भी उन्होंने अपने नाम किया.
राजनीतिक जीवन
1989 से 1991 तक लोकसभा में जनता दल के सांसद रह चुके हैं. इस कार्यकाल में उन्होंने केंद्रीय मंत्री का पद भी संभाला है. इसके बाद उन्होंने कांग्रेस से हाथ मिलाया. कांग्रेस ने उन्हें अजमेर से टिकट दिया, लेकिन वह लोकसभा चुनाव हार गए और 2003 में बीजेपी में शामिल हो गए. इसके बाद उन्हें अजमेर के किशनगढ़ से विधायक चुना गया. 30 जुलाई 2019 को उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया.
सियासी दांवपेच और कानून के जानकार
जगदीप धनखड़ कानून और सियासी दांवपेच और हर पार्टी में अपने संबंधों के चलते जाने जाते हैं. वो राजस्थान की जाट बिरादरी से संबंध रखते हैं और यहां जाटों को आरक्षण दिलवाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी. इस समुदाय में उनकी अच्छी खासी पकड़ है. पश्चिम बंगाल में मारवाड़ियों का अच्छा प्रभाव देखा जाता है. मारवाड़ी समुदाय का यहां बिजनेस के साथ राजनीति में भी दखल है. यह समुदाय हमेशा से बीजेपी का वोट बैंक भी रहा है.