भोपाल में मुख्यमंत्री ने रैन बसेरा का दौरा क्या किया प्रदेश भर में हलचल मच गई । इंदौर में भी नगर निगम ने फुटपाथ पर सो रहे लोगों को उठाकर रैन बसेरों में शिफ्ट करने की कवायद शुरू की । कड़कड़ाती ठंड में फुटपाथ पर सोने वाले ज्यादातर लोगों की मजबूरी इसलिए अब समझ से परे है क्योंकि नगर निगम ने 10 रैन बसेरे चला रखे हैं , जहां पर रात बिताने की पर्याप्त व्यवस्था के साथ भोजन भी दीनदयाल रसोई योजना के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है , कल रात को भी 9- 10 लोगों को रैन बसेरे भिजवाया गया , इस मामले की एक हकीकत यह है कि 100 से अधिक फुटपाथी गरीब नशे में धुत्त भी मिले , जिनमें कुछ महिलाएं भी शामिल है।
इन लोगों को इसलिए शिफ्ट नहीं किया जा सका क्योंकि इससे रैन बसेरे में व्यवस्थाएं और बिगड़ती , इनको नशा मुक्ति केंद्र भिजवाना चाहिए । दूसरी हक़ीक़त ये है कि अधिकांश फुटपाथ पर सोने वाले गरीब कंबल और अन्य राहत सामग्री के लालच में रोजाना बैठते है । शास्त्री ब्रिज के ऊपर और नीचे , रीगल चौराहे के अलावा एमवाय , गंगवाल जैसे प्रमुख ठिकानों पर कई समाजसेवी लोग रात में कंबल और अन्य सामग्री बांटते हैं , लिहाजा इस के लालच में ये लोग यहीं डेरा डाले रहते हैं । कई के पास चार से पांच कम्बल बोरे में भरे मिले , शास्त्री ब्रिज पर तो एक ही परिवार के 21 लोग रोजाना इसीलिए जमे रहते है।
सुबह ये कम्बल अन्य गरीबों को 25-50 रु में बेच देते है और फिर कम्बल लेने बैठ जाते है , ये रोजाना का धंधा है । हो सकता है निगम के रैन बसेरों में कुछ कमी हो मगर फिर भी ठंड-बारिश में खुले में सोने से तो लाख गुना बेहतर है , लेकिन नशा , कम्बल और अन्य राहत सामग्री का लालच इन फुटपाथ पर सोने वालों को रैन बसेरा , आश्रम या किसी नशा मुक्ति केंद्र में रख नहीं पाता है । यही कारण है कि तमाम प्रयासों के बावजूद सड़कों ,चौराहों , ट्रैफिक सिंग्नल या धार्मिक स्थलों के आसपास से भिखारी भी नहीं हटते है।